लातेहार। मुस्लिम बुद्धिजीवी और समाजसेवियों की बैठक समशुल होदा की अध्यक्षता में माको डाकबंगला में बुधवार को हुई। उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि आज मुसलमान इस देश में अपमान और डर के साये में जी रहे हैं। पुलिस और सरकारी महकमों में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। सच्चर कमेटी ने मुसलमानों को हर क्षेत्र में ज्यादा तरजीह देने की सिफारिश की थी, ताकि उनके रहन-सहन और सामाजिक-आर्थिक हालत में सुधार हो सके। इसके बाद तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने पंद्रह प्वाइंट प्रोग्राम की शुरुआत भी की। इसमें मुसलमानों को शिक्षा और नौकरी के लिए बेहतर अवसर मुहैया कराए जाने की रणनीति का खाका खींचा गया।
वक्ताओं ने कहा कि आयोग की सिफारिश थी कि केंद्र और राज्य सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यकों को 15 फीसदी आरक्षण दिया जाए। शिक्षा में भी 15 फीसदी आरक्षण हो। इसमें 10 फीसदी हिस्सा अकेले मुसलमानों को दिया जाए। दस साल बाद भी मुसलमानों की स्थिति में कोई ज्यादा सुधार नहीं है। वे अब भी उसी तरह के दोयम दर्जे का जीवन गुजारने को मजबूर हैं। समय बदला सरकारें बदली, लेकिन ना ही केंद्र की कोई सरकार और ना ही किसी राज्य की सरकार ने सच्चर कमेटी की मांगों को पूरी तरह से लागू करने की तत्परता दिखाई। किसी राज्य में भी आजतक सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है।
सीएम हेमंत सोरेन ने चुनाव के पहले कहा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार राज्य में बनते ही सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू कर दिया जाएगा। मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार को इस वादे पर गहराई से सोचने और सच्चर कमेटी को लागू करने की जरूरत है। बैठक में सच्चर कमेटी को लागू करने के लिए सरकार पर जोर डालने के लिए रणनीति बनाई गई।
सदस्यों ने जिंदा जला दी गई गुलनाज के हत्यारों को शख्त सजा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में मुस्लिम, दलित, आदिवासी युवतियां सुरक्षित नहीं हैं। बिहार के वैशाली जिले के देसरी थाना के चांदपुरा ओपी के रसूलपुर हबीब गांव की जिंदा जलाई गई युवती गुलनाज हत्याकांड पर आक्रोश व्यक्त किया गया। इस पूरे मामले में पंद्रह दिनों तक पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इससे साफ होता है कि अपराधियों के साथ पुलिस की मिलीभगत है। बैठक में चांदपुरा ओपी प्रभारी और देसरी थानाध्यक्ष को तत्काल बर्खास्त करने, सभी अभियुक्तों को तत्काल गिरफ्तार करने और फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस का स्पीडी ट्रायल कर जल्द से जल्द सख्त सजा देने, पीड़ित परिवार को नौकरी और मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है।
मौके पर समशुल होदा, हाजी फिरोज अहमद, अयुब खान, असगर खान, अबास अंसारी, अफताब आलम, अहद खान, बाबर खान, बेलाल अहमद, मनान अंसारी, लाडले खान, मुर्तजा अंसारी, अख्तर हुसैन, मो कलीम अंसारी, मो आबिद, मो अख्तर, सलाम अंसारी, मो फहिम उद्दीन, कुर्बान अंसारी, मो साबीर अंसारी, मो खुर्शीद अंसारी, अफरोज आलम, जनाब अंसारी, रसीद अंसारी सहित कई लोग मौजूद थे।
लोकतांत्रिक मुस्लिम कमेटी का गठन किया गया। सरपरस्त हाजी फिरोज अहमद, समशुल होदा, जनाब अंसारी, सलाम अंसारी, अयुब खान, अबास अली, नुर मोहम्मद, समशेर खान, सदर मनान अंसारी, नायब सदर अफताब आलम, सिक्रेटरी असगर खान, नायब सेक्रेटरी लाडले हसन खान, खजांची अहद खान को बनाया गया।