रांची । पत्र सूचना कार्यालय व रीजनल आउटरीच ब्यूरो, रांची और फील्ड आउटरीच ब्यूरो, गुमला केे संयुक्त तत्वावधान में ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत : वोकल फॉर लोकल से सांस्कृतिक धागे की मजबूती’ विषय पर बुधवार को वेबिनार परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें शिक्षा, उद्योग एवं समाजसेवा क्षेत्र से जुुुुड़े प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया। विशेषज्ञोंं का कहना था कि वोकल फॉर लोकल के जरिए हमें स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ उसके उपयोग पर गर्व करना होगा, तभी यह सफल होगा।
वेबिनार परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अपर महानिदेशक पीआईबी- आरओबी अरिमर्दन सिंह ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। देश की विविधता ही देश की शक्ति है जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार करती है। आवश्यकता इस बात कि है हम वोकल फॉर लोकल अपनाएं और देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाएं।
साहित्यकार और रांची यूनिवर्सिटी के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष गिरिधारी राम गोंझू ने कहा कि आदिवासी रहन-सहन का तरीका और आदिवासी संस्कृति प्राकृतिक तौर पर हमें आत्मनिर्भर बनना सिखाती है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार गांव बसने से पहले खेत की व्यवस्था की जाती है। फिर ऊंचे स्थान पर गांव बनाया जाता है और गांव में हर तरह के हुनर के लोगों को ‘दोना और कोना’ अर्थात खाना और रहने का ठिकाना उपलब्ध कराया जाता है, ताकि गांव पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर रहे।
झारखंड चैंबर के अध्यक्ष कुणाल अजमानी ने कहा कि चीन ने अपनी बड़ी आबादी को वरदान के रूप में उपयोग किया। आज हमारे देश को जरूरत इस बात की है कि हम भी अपनी बड़ी आबादी को वरदान के रूप में उपयोग में लाएं। उन्हें हुनर सिखाएं। जरूरत की अधिकतर वस्तुओं का स्थानीय स्तर पर ही उत्पादन हो। लोग उसे सहर्ष उपयोग में लाएं, तभी एक भारत श्रेष्ठ भारत बन सकता है।
स्वयंसेवी संस्था माटी घर के संस्थापक वीरेंद्र कुमार ने कहा कि अगर हम वोकल फॉर लोकल के मंत्र को अपनाते हैं, तो उससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन में सहायता मिलती है। बेरोजगारी दूर होती है और पलायन रुकता है। प्रधानमंत्री के हजारीबाग दौरे का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सोहराई पेंटिंग से देश के अधिकतर लोग अनभिज्ञ थे, लेकिन जब प्रधानमंत्री ने इसे अपने भाषण में उद्धृत किया, तब लोगों ने इसे ज्यादा और आज पूरे देश में इसकी डिमांड काफी बढ़ गई है। उन्होंने यह भी कहा की स्थानीय उत्पादों को खरीदने में और प्रमोट करने में सरकार तथा सरकारी मशीनरियों को भी बढ़-चढ़कर भाग लेना होगा। स्थानीय लोगों को इसके हुनर की ट्रेनिंग देनी होगी तभी लोकल फॉर वोकल का मंत्र सफल हो सकता है।
समाजसेवी संस्था ग्राम एसोसिएशन के सह संस्थापक मंगेश झा ने कहा कि वोकल फॉर लोकल का मंत्र झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोगी साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के रासबेड़ा गांव में वे लोग लोकल पद्धति अपनाकर गांववासियों को स्वच्छ जल उपलब्ध करा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ पलायन के कष्ट से बचाता है। मंगेश इस बात के लिए भी बहुत अधिक प्रयास कर रहे हैं कि सेनेटरी नैपकीन की जगह पर महिलाएं बायोडिग्रेडेबल पैड का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि मौजूदा पैड में प्लास्टिक होता है, जो सालाना 12 लाख मैट्रिक टन कचरे में बदल जाता है। पर्यावरण को हानि पहुंचाता है। इसलिए आवश्यकता है कि वोकल फॉर लोकल को अपनाया जाए और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार किया जाए।
इस वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्रीमती महविश रहमान ने किया। तकनीकी सहायता और समन्वय सहयोग क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी शाहिद रहमान और ओंकार नाथ पाण्डेय द्वारा क्रमशः दिया गया।
वेबिनार में जनसंचार संस्थानों के विद्यार्थियों के अलावा पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों और दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकारों एवं सदस्यों, आकाशवाणी के पीटीसी, दूरदर्शन के स्ट्रिंगर तथा मीडिया से संपादक और पत्रकार भी शामिल हुए।