आज से चैत्र नवरात्रि शुरू: शिव परिवार संग नाव पर सवार होकर मां दुर्गा का आगमन, जान लें पूजन सामग्री, कलश स्थापना मुहूर्त और विधि

झारखंड
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  • नौका पर मां दुर्गा के आगमन का अर्थ है कि भक्तों की मनोकामनाओं पूरी होंगी।
  • आज कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 23 मिनट से है।
  • कलश स्थापना के बाद सबसे पहले गौरी और गणेश का पूजन करें।
  • पंडित बाबा रामदेव

रांची। चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ आज बुधवार  22 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से हुआ है। नौका की सवारी से शिव परिवार के साथ मां दुर्गा का आगमन पृथ्वी लोक पर हुआ है। नौका पर मां दुर्गा के आगमन का अर्थ है कि मां दुर्गा अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करेंगी और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देंगी।

चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 3 राजयोग गजकेसरी, नवपंचम राजयोग और बुधादित्य राजयोग में हुआ है। रांची के ज्योतिषाचार्य पंडित बाबा रामदेव से जानते हैं चैत्र नवरात्रि के कलश स्थापना मुहूर्त, पूजन सामग्री और विधि के बारे में।

चैत्र नवरात्रि 2023 शुभ मुहूर्त

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ: 21 मार्च, मंगलवार, रात 10:52 बजे से।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का समापन: 22 मार्च, बुधवार, रात 08:20 बजे पर

शुक्ल योग: आज, प्रात:काल से सुबह 09 बजकर 18 मिनट तक

ब्रह्म योग: आज, सुबह 09 बजकर 18 मिनट से कल सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक।

चैत्र नवरात्रि 2023 कलश स्थापना मुहूर्त

आज कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक है। इस समय में लाभ-उन्नति मुहूर्त भी है। लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 06:23 बजे से सुबह 07:55 बजे तक है। आज के दिन अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 07:55 बजे से सुबह 09:26 बजे तक है।

आज का अशुभ समय

पंचक: पूरे दिन। पंचक में कलश स्थापना कर सकते हैं।

राहुकाल: दोपहर 12:28 बजे से दोपहर 01:59 बजे तक

कलश स्थापना पूजन सामग्री

मिट्टी का एक कलश, नई लाल रंग की चुनरी, मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर, लाल रंग की माता की चौकी, आम की हरी पत्तियां, अक्षत्, गंगाजल, रक्षासूत्र, चंदन, रोली, शहद, एक पीला वस्त्र, एक कुश का आसन, लाल सिंदूर, श्रृंगार सामग्री, गुड़हल, फूलों की माला, जटावाला नारियल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, पान का पत्ता, सुपारी, गाय का घी, धूप, अगरबत्ती, कपूर, दीपक, बत्ती के लिए रुई, नैवेद्य, गुग्गल, लोबान, जौ, पंचमेवा, फल, मिठाई, माचिस, मातरानी का ध्वज आदि।

चैत्र नवरात्रि 2023 कलश स्थापना और पूजा विधि

सबसे पहले पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर की दिशा में मिट्टी के बर्तन में थोड़ी मिट्टी रख लें। उसमें जौ बो दें और फिर उसमें नमी के लिए पानी डाल दें। अब आप ​कलश पर रक्षासूत्र लपेट दें। फिर रोली से तिलक करें। उसे माला से सजाएं। फिर उसमें गंगाजल, अक्षत्, फूल, दुर्वा, सुपारी, सिक्का डालकर पानी से भरें। उसमें आम के पत्ते रखें और उसे मिट्टी के बर्तन से ढकें।

इसके बाद आप मिट्टी के प्लेट में अक्षत् भर लें और एक सूखे नारियल पर रक्षासूत्र लपेट दें। अब कलश की स्थापना पूजा स्थान पर उत्तर या पूर्व दिशा में करें। कलश पर अक्षत् भरे मिट्टी के बर्तन को रखें और उस पर रक्षासूत्र वाले नारियल को स्थापित कर दें। उसके पास ही बोए गए जौ को रख दें। पूरी नवरात्रि जौ में पानी देते रहें, ताकि वह हरा भरा रहे।

कलश स्थापना के बाद सबसे पहले गौरी और गणेश जी का पूजन करें। फिर अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें। उसके बाद मां दुर्गा का आह्वान करें और उनकी विधिपूर्वक पूजा करें। नवरात्रि के प्रथम दिन नवदुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री की पूजा होती है।