रांची। सरकारी स्कूल की शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए झारखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इस बाबत शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने 7 दिसंबर, 2022 को आदेश जारी किया है। इस संबंध में उन्होंने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा अधीक्षक को जानकारी दी है। इसे प्राथमिकता देने की बात कही है।
जारी आदेश में सचिव ने लिखा है कि निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में निहित प्रावधान को अनुपालन में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग राज्य में प्रारंभिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कृतसंकल्प है। इस संदर्भ में शिक्षकों का सार्थक और सक्रिय प्रतिबद्धता अपेक्षित है। उनकी प्रशैक्षणिक और शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव का उतरोत्तर अनुप्रयोग वांछनीय है, ताकि विद्यालय के संचालन अवधि में संतुलित समेकित एवं स्तरीय समय तालिका एवं सावधिक पाठयोजना के आधार पर विद्यालयीय पाठ्यसहगामी गतिविधि व क्रियाकलापों का राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप छात्रहित में किया जा सके।
सचिव ने लिखा है कि विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियों पर कोविड-19 महामारी काल के दौरान अनअपेक्षित प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। दससे छात्र-छात्राओं के अधिगम स्तर में वांछनीय प्रगति नहीं हो पायी है। इसका समायोजन शीघ्रातिशीघ्र किया जाना शैक्षणिक/छात्रहित में नितांत आवश्यक है।
राज्य के विद्यालयों के नियमित अनुश्रवण, क्षेत्र भ्रमण के क्रम में और शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों से हो रही तैयारी वार्ता के मद्देनजर यह पाया गया है कि विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों का अवांछित प्रतिनियोजन बिना विभागीय पूर्वानुमति के यत्र-तत्र कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप छात्र-छात्राओं की शैक्षणिक प्रगति होती है। इसके साथ ही यह तथ्य भी प्रकाश में आया है कि शिक्षकों को बारंबार उनकी कार्यावधि में ही विद्यालय से अभिलेख / प्रतिवेदन एवं अन्य कागजात/प्रपत्र/सूची आदि तैयार करने के लिए या कार्यालय में समर्पित करने के लिए इससे संबंधित किसी प्रकार की गोष्ठी इत्यादि में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के कार्यालय में बुलाया जाता है। यह सर्वथा अवांछनीय एवं अवरोधात्मक है।
अंकनीय है कि संबंधित अधिकारियों की ऐसी स्वेछाचारिता, लापरवाही एवं पूर्ण कार्यशैली से छात्र/छात्राओं के शैक्षणिक गुणात्मक/मात्रात्मक विकास पर बेहद प्रतिकूल असर परिलक्षित होता है, जो कि पूर्णत अनुचित एवं अव्यवहारिक है। गुणात्मक शिक्षा के प्रचार-प्रसार के संदर्भ में विद्यालयी पाठ्यक्रम व पाठ्यसहगामी गतिविधियों/क्रियाकलापों को समयबद्ध व चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की जिम्मेदारी भौलिक रूप से शिक्षकों की ही है। इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दिया जाना नितांत आवश्यक है। इस कार्य के लिए शिक्षकों का सक्रिय व सार्थक सहयोग अपेक्षित है। इस निमित्त दैनिक स्तर पर विद्यालय की संपूर्ण कार्यावधि में शिक्षकों की विद्यालय में शारीरिक एवं मानसिक उपस्थिति अनिवार्य है।
छात्रहित में ये निर्देश जारी
1. संपूर्ण विद्यालय कार्यावधि में सभी शिक्षक अपने विद्यालय में उपस्थित रहते हुए छात्रहित में परस्पर अंत:क्रिया की प्राथमिकता सुनिश्चित करते हुए गुणात्मक शैक्षणिक विकास के उद्देश्य से समयतालिका और पाठ्ययोजना आधारित पाठ्यचर्या / पाठ्यक्रम और पाठ्यसहगामी गतिविधि का प्रभावी रूप से संचालन करेंगे।
2. प्राचार्य/प्रधानाध्यापक/प्रधान शिक्षक (प्रभारी सहित) सहित सभी सहायक शिक्षक अपने संपूर्ण विद्यालयी कार्यावधि में अपने सेवा संबंधी व्यक्तिगत कार्य या विद्यालय से संबंधित प्रतिवेदन प्रपत्र/पत्र/आवेदन पत्र या कोई अन्य कागजात सूचना या आदेश/निर्देश/निदेश आदि प्राप्त करने या जमा करने या इससे संबंधित किसी प्रकार की गोष्ठी में भाग लेने के उद्देश्य या मध्याह्न भोजन संबंधी करने के उद्देश्य से विद्यालय से प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कार्यालय/क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय या अन्यत्र नहीं जायेंगे। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रधानाध्यापक प्रधान शिक्षक (प्रभारी सहित), जहां लागू हो, या उनके द्वारा अधिकृत पोर्ट अन्य शिक्षक प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कार्यालय के निर्देश के अनुसार सिर्फ मासिक गुरुगोष्ठी में ही नियत तिथि को नियत समय पर अपने वांछित दस्तावेजों / प्रतिवेदन एवं सूचना के साथ भाग लेंगे। इसी दिन शिक्षक सभी आवश्यक कागजात सूचना एवं उपयोगी सामयि यदि कोई हो तो प्राप्त कर लेंगे। इस निर्मित कि गुरुगोष्ठी के संचालन के अलावा कतिपय अपरिहार्य कारणों से जिला शिक्षा पदाधिकारी / जिला शिक्षा अधीक्षक के पूर्वानुगति लेकर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी / क्षेत्र शिक्षा प्रसार पदाधिकारी (यदि आवश्यक हो तो) विशेष गुरुगोष्ठी आयोजित करेंगे। इसके लिए संबंधित शिक्षकों को सूचित करते हुए आमंत्रित करेंगे।
3. विद्यालय में छात्रहित में प्रवृत आदेश / निर्देश / दिशा-निर्देशों के अनुपालन में यदि आवश्यक हो तो संबंधित प्रसाधन सेवी संकुल साधन सेवी अपने विद्यालय भ्रमण से संबंधित पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अलावे समय-समय पर विद्यालय स्वयं जाकर सभी वांछित सूचना/प्रतिवेदन प्रपत्र / सूची एवं अन्य कागजात दस्तावेज/सामग्रियां एकत्रित करेंगे या प्राप्त करेंगे या हस्तगत करेंगे या वितरित करेंगे या उनके अवलोकन के बाद वांछित प्रविष्टियां दर्ज करेंगे, ताकि शिक्षकों का बहुमूल्य समय नष्ट नहीं होकर छात्रहित में शिक्षण कार्य में उनका सदुपयोग हो।
4. विद्यालय में उपस्थित शिक्षकों द्वारा माता समिति के माध्यम से कार्यावधि में विद्यालय के मीनू के अनुसार भोजन योजना से संबधित कार्य का यथावत् नियमित संचालन होता रहेगा। इसमें किसी भी प्रकार की कोई अनदेखी या लापरवाही नहीं की जायेगी। इस संदर्भ में यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी परिस्थिति में विद्यालय कार्यावधि में कोई भी शिक्षक मध्याह्न भोजन योजना से संबंधित कार्य के लिए विद्यालय परिसर से बाहर नहीं जायेंगे। दैनिक स्तर पर ध्यान मध्याह्न भोजन निर्माण/वितरण के लिए सभी प्रकार की पूर्व तैयारी अपरिहार्य है। इस संबंध में विद्यालय प्रबन्ध समिति सहित इसकी उप समिति-सरस्वती वाहिनी संचालन समिति से भोजन का कार्य संपादित करना सुनिश्चित करेंगे।
5. एकल शिक्षक विद्यालयों में शिक्षक के अवकाश में रहने के दौरान संबंधित प्रखंड साधन सेवी/ संकुल साधन सेवी स्वयं विद्यालय के प्रभार में रहते हुए शैक्षणिक कार्यों का संपादन एवं मध्याह्न भोजन निर्माण / वितरण करना सुनिश्चित करेंगे। किसी भी परिस्थिति में विद्यालय में मध्याह्न भोजन का निर्माण एवं वितरण बंद नहीं रहेगा।
6. किसी भी विद्यालय में शिक्षक के अवकाश पर जाने की सूचना पूर्व से विनिर्दिष्ट व्हाट्सएप पर देते हुए यथावश्यक संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी/जिला शिक्षा अधीक्षक से स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा, ताकि विद्यालय में आवश्यक अतिरिक्त अनुश्रवण सुनिश्चित किया जा सके। विद्यालय में शिक्षण कार्य या भोजन संबंधी कार्य सुचारू रूप से चलता रहे।
7. सबंधित सभी क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी एवं प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी नियमित रूप से सभी विद्यालयों का उपरोक्त दिशा-निर्देशों के अनुपालन में अनुश्रवण करना सुनिश्चित करेंगे, ताकि विद्यालयों में छात्रहित में गुणात्मक शिक्षा का प्रचार-प्रसार प्रभावी रूप हो सके।