रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना (नाहेप) के तहत वर्चुअल क्लासरूम, एग्री दीक्षा और एकेडमिक मैनेजमेंट सिस्टम पर दो दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला का शुभारंभ बुधवार को वानिकी संकाय में हुआ।
इस अवसर पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि पिछले दो दशकों में जितना गतिशील और व्यापक विकास एवं नवाचार सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुआ उतना अन्य किसी सेक्टर में नहीं हो पाया। इससे उच्च शिक्षण संस्थानों के कामकाज को एक नई दिशा और गति मिली है। अब नामांकन, परीक्षा, मूल्यांकन, रिजल्ट आदि अधिकांश कार्य ऑनलाइन होने लगे हैं।
भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नयीदिल्ली के वरीय वैज्ञानिक डॉ शहनवाजुल इस्लाम ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की व्यापक संभावनाएं हैं। सांख्यिकी से जुड़ा आईसीएआर का एकमात्र संस्थान इस दिशा में अभिनव पहल ले रहा है।
वानिकी संकाय के अधिष्ठाता सह नाहेप के प्रधान अन्वेषक डॉ एमएस मलिक ने स्वागत करते हुए कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी सम्बन्धी समाधान अपनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों में आईटी संस्कृति को सुदृढ़ करना तथा कृषि शिक्षा की क्वालिटी में सुधार लाना है।
प्रो बीके अग्रवाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में हर गतिविधि के लिए मोबाइल ऐप विकसित करने और आईटी इंटरवेंशन की जरूरत है। वर्चुअल क्लासरूम के लिए अगर उच्च शिक्षण संस्थान अपना आधारभूत ढांचा विकसित कर लें तो उसके प्रभावी संचालन के लिए राष्ट्रीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान हर तरह के महंगे सॉफ्टवेयर पैकेज निशुल्क देने के लिए तैयार है।
डीन डॉ एसके पाल और डॉ सुशील प्रसाद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन शाना आइशा ने किया।