रवि शंकर शर्मा
केंद्र सरकार ने GST प्रणाली के अंर्तगत आने वाले छोटे करदाताओं के लिए त्रैमासिक रिटर्न फाइलिंग और मासिक भुगतान कर योजना की शुरू की है। पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में 5 करोड़ रुपये तक के वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं और 30 नवंबर, 2020 तक अपना अक्टूबर का GSTR-3B रिटर्न जमा करने वाले इस योजना के लिए पात्र होंगे। इस संबंध में अधिसूचना केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs) द्वारा जारी की गई है।
QRMP योजना के बारे में
पांच करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले टैक्सपेयर को GSTR-1 और GSTR-3B रिटर्न को तिमाही के आधार पर भरने की अनुमति दी जाएगी, जो 2020-21 के जनवरी-मार्च तिमाही से शुरू होगी।
त्रैमासिक GSTR-1 और GSTR-3B को SMS के माध्यम से भी दायर किया जा सकता है।
करदाता 1 जनवरी, 2021 से हर महीने जीएसटी का भुगतान चालान के माध्यम से कर सकते हैं।
ऐसा मासिक देयता के स्व-मूल्यांकन या तिमाही के पिछले दायर जीएसटीआर -3 बी के नेट नकदी दायित्व के 35% से किया जा सकता है।
इसके अंतर्गत, पंजीकृत व्यक्ति अथवा करदाता केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर नियम, 2017 के नियम 61A के उप-नियम (1) के तहत हर तिमाही में रिटर्न प्रस्तुत करेगा और इसी अधिनियम की धारा 39 की उप-धारा (7) के तहत मासिक कर का भुगतान करेगा।
1 जनवरी, 2021 से जो करदाता QRMP स्कीम प्रणाली में जा रहे हैं, उनके पास अपनी आउटवर्ड सप्लाई को दाखिल करने के लिए एक नयी प्रणाली IFF (इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी) को चालू किया गया है। तिमाही की पहले और दूसरे महीने के लिए इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी के जरिये अपनी आउटवर्ड सप्लाई को डाल सकते हैं। आउटवर्ड सप्लाई को इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी के जरिये महीने के पहली तारीख से लेकर तेरह तारीख के बीच में डाल सकते है, परंतु ये बस हर महीने 50 लाख रुपये तक की बिक्री तक ही संभव है। इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी के जरिये जो आउटवर्ड सप्लाई की विवरणी दाखिल की गयी है, उनको GSTR-1 में दाखिल नहीं करना है। B2B इनवॉइस (अंतर्राज्य या राज्यांतर्गत) और डेबिट नोट एवं क्रेडिट नोट्स को इनवॉइस फर्निशिंग फैसिलिटी के जरिये डाला जा सकता है। ध्यान देने वाली बात यह है की तिमाही के तीनो महीनो की B2C विवरणियों को GSTR-1 में ही डालना पड़ेगा
उपरोक्त संशोधन के बाद, अधिनियम को केंद्रीय माल और सेवा कर (तेरहवें संशोधन) नियम, 2020 के रूप में नामित किया गया है
(लेखक झारखंड के टैक्स कंसल्टेंसी फर्म सावी एसोसिएट्स के फाउंडर हैं )