उत्तर प्रदेश। मेला गदहों का, बोली लग रही सलमान, शाहरुख’ और रणबीर की। चौंकिए नहीं, आगे पढ़िए…
यूपी के चित्रकूट में दिवाली की अगली सुबह एक अलग ही रौनक लेकर आती है। इस वर्ष मंदाकिनी नदी के किनारे सलमान, शाहरुख, रणबीर और ऋतिक आए हैं। इन्हें देखने के लिए चारों ओर दर्शकों की भीड़ लगी हुई है। इन्हें देखने के लिए लोग अलग-अलग राज्यों से यूपी पहुंचे हैं।
यहां बता दें कि यहां पर बात फिल्म स्टार्स की नहीं, बल्कि गधों की हो रही है। और फिल्म स्टार्स के नाम के ये गधे चित्रकूट के ऐतिहासिक ‘गधा मेला’ में बिकने के लिए आए हैं। वहीं बिहार के पशु व्यापारी मो. दिलशाल पिछले 15 सालों से इस मेले में आकर जानवर बेच रहे हैं। दिलशाद बताते हैं कि गधा मेला 300 साल पुराना है और औरंगजेब के समय से लगता है।
बताया जाता है कि औरंगजेब के करीबियों के पास जब घोड़ों की कमी होने लगी, तो उसने अफगानिस्तान से बिकने के लिए अच्छी नस्ल के गधे और खच्चर मंगवाए थे। उन गधों की खरीदारी इसी चित्रकूट बाजार से हुई थी। वहीं मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस गधों को अपनी सेना के बेड़े में भी शामिल किया था।
दिलशाद ने बताया कि वह इस मेले में अपने साथ 7 पशुओं को लेकर आए हैं। इस 7 पशुओं में सबसे महंगा गधा सलमान है और इसकी कीमत करीब डेढ़ लाख रुपए है।
बता दें कि मंदाकिनी तट पर हर साल लगने वाले इस मेले में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और बिहार के पशु व्यापारी शामिल होते हैं। इसके साथ ही देशभर से इन जानवरों के खरीददार इस मेले में पहुंचते हैं।
व्यापारियों ने बताया कि यहां पर बिकने वाले गधों की पहचान फिल्मी कलाकारों के नाम पर होती है। व्यापारियों के अनुसार, गधों को बॉलीवुड कलाकारों का नाम देने से गधों की बिक्री बढ़ जाती है।
वहीं व्यापारी मोइन ने बताया कि अच्छी नस्ल और बढ़िया कद काठी वाले खच्चरों का नाम सलमान रखा गया है। इसके अलावा ज्यादा भार ढोने वाले गधों का नाम रणबीर और ऋतिक दिया गया है। वहीं फुर्तीले खच्चरों को शाहरुख नाम से बुलाया जाता है। बता दें कि मेले में बिकने वाले गधों और खच्चरों का अलग-अलग रेट है।
चित्रकूट में धनतेरस से भाईदूज तक दीपदान का उत्सव मनाया जाता है। इस बार दीपोत्सव के मौके पर होने वाले इस उत्सव में शामिल होने के लिए पूरे देश से 3 लाख श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचे हैं।
दिवाली के दूसरे दिन यानि कि जमघट के दिन से ‘गधा-मेला’ लगता है। मेला आयोजन के समिति के अध्यक्ष मुन्नालाल त्रिपाठी ने बताया कि हर साल मंदाकिनी के किनारे लगने वाले इस मेले में करीब 5 हजार गधे आते हैं। जितने लोग इन गधों को खरीदने के लिए आते हैं, उससे कहीं अधिक लोग इन्हें देखने के लिए इस मेले में आते हैं। वहीं मेले की व्यवस्था का जिम्मा नगर पंचायत उठाती है।