दुर्घटना में बागवानी महाविद्यालय के 2 छात्रों की मृत्‍यु पर बीएयू में शोक सभा

झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई चाईबासा के खूंटपानी स्थित बागवानी महाविद्यालय के 2 छात्रों की नदी में डूबने से मृत्‍यु हो गई थी। इसे लेकर 12 अक्‍टूबर को रांची कृषि महाविद्यालय प्रेक्षागृह में एक शोक सभा का आयोजन किया गया। मौजूद विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, शिक्षक, कर्मी और छात्र छात्राओं ने 2 मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति और उनके परिजनों के धैर्य धारण के लिए प्रार्थना की। विश्वविद्यालय परिसर में कैंडल मार्च भी निकाला।

बागवानी महाविद्यालय के द्वितीय वर्ष के छात्र चतरा निवासी राजन कुमार सिंह और पाकुड़ निवासी सचिन किस्कू 9 अक्टूबर को अपने अन्य 7 साथियों के साथ महाविद्यालय परिसर से कॉलेज प्रशासन की बिना अनुमति या सूचना के एडवेंचर के लिए निकल गए थे। पास की बरसाती नदी में नहाने चले गए थे। नदी में डूब जाने के कारण उनकी मृत्‍यु हो गई।

लगभग 48 घंटों के प्रयास के बाद एनडीआरएफ की टीम द्वारा नदी से उनका शव बरामद किया गया। घटना के बाद की परिस्थिति को संवेदना पूर्वक संभालने के लिए बीएयू के कुलपति एवं निदेशक छात्र कल्याण भी 3 दिनों तक खूंटपानी में रहे। शव बरामदगी, उनके परिजनों को सांत्वना देने और शव को एसी शववाहन में उनके मूल स्थान भेजवाने की व्यवस्था कराई।

शोक सभा में बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि छात्र छात्राओं को हमेशा अनुशासन, संयम और संस्थान द्वारा निर्धारित सीमा में रहना चाहिए। उन्हें अपने माता-पिता का फोटो हमेशा अपने पर्स या जेब में रखना चाहिए। जब भी कोई खतरनाक एडवेंचर करने, अनुशासन तोड़ने या गलत कदम उठाने का विचार आए तब फोटो को देखना चाहिए कि कुछ गलत या अनर्थ हो गया तो उनके माता-पिता की क्या हालत होगी। वे किस मन:स्थिति से गुजरेंगे।

कुलपति ने विद्यार्थियों को ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए, जिससे उनके माता-पिता, परिवार या संस्थान की प्रतिष्ठा को आंच जाए। उन्‍होंने कहा कि दोनों दिवंगत होनहार विद्यार्थियों की स्मृति को स्थाई बनाने के लिए विश्वविद्यालय कुछ स्थाई कार्य करने पर विचार करेगा।

कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ एसके पाल, निदेशक छात्र कल्याण डॉ डीके शाही और वार्डन डॉ नीरज कुमार ने छात्र छात्राओं से विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित अनुशासन और मर्यादा के दायरे में रहने की अपील की, ताकि ऐसा दर्दनाक और दुखद दिन विश्वविद्यालय में फिर कभी नहीं आए।

दिवंगत छात्रों के सहपाठियों ने अपने उद्गार में उनके मानवीय गुणों, दोस्तों के प्रति समर्पण भाव और क्रिकेट-फुटबॉल के खिलाड़ी के रूप में उनकी दक्षता की चर्चा की।