रांची। आईसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित चारा फसल शोध परियोजना अधीन बीएयू में शोध कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। इसका आईसीएआर, नई दिल्ली द्वारा गठित दल ने दो दिन समीक्षा की। इस दो सदस्यीय समीक्षा दल में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के प्लांट ब्रीडर डॉ सुनील वर्मा और भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी एग्रोनोमिस्ट डॉ मुकेश चौधरी शामिल थे।
आईसीएआर दल ने बीएयू स्थित पशु चिकित्सा संकाय के चारा फसल अनुसंधान फार्म के हर एक प्रायोगिक प्लॉट का गहन निरीक्षण किया। खेतों में खरीफ चारा फसलों में दीनानाथ घास, बाजरा, मकई, बोदी, नेपियर एवं राइस बीन के प्रायोगिक प्लाट को बारीकी से देखा। जरूरी जानकारी ली। आवश्यक सुझाव दिये।
दल को परियोजना अन्वेषक एवं प्लांट ब्रीडर (चारा फसल) डॉ योगेन्द्र कुमार एवं सह परियोजना अन्वेंषक एवं एग्रोनोमिस्ट (चारा फसल) डॉ वीरेंद्र कुमार ने खरीफ चारा फसलों के शोध कार्यक्रमों में वेरायटल ट्रायल एवं शस्य तकनीकी ट्रायल और प्रत्यक्षण एवं प्रशिक्षण से जुड़ी जानकारियां साझा की। वेरायटल ट्रायल एवं शस्य तकनीकी ट्रायल के प्रदर्शन को अवगत कराया। भावी शोध कार्यक्रमों पर चर्चा की।
आईसीएआर दल ने दीनानाथ घास के विभिन्न किस्मों की प्रायोगिक ट्रायल के बेहतर प्रदर्शन की सराहना की। बेहतर प्रदर्शन करने वाले किस्मों की किसानों के खेतों में फ्रंट लाइन प्रत्यक्षण से बढ़ावा देने पर बल दिया। दल ने कहा कि देश में पशुधन की जनसंख्या में 1.23 प्रतिशत की दर से हो रही वृद्धि है। इसे देखते हुए चारा फसल की मांग और आपूर्ति के अंतर को दूर करने के लिए खरीफ, रबी एवं वर्ष भर चारा फसल की खेती तकनीक को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया।