झारखंड के गढ़वा में ग्रामीणों की पुलिस से हिंसक झड़प, दो दर्जन से अधिक घायल, जानें आगे

झारखंड
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गढ़वा। बड़ी खबर झारखंड के गढ़वा जिले के मेराल से आयी है। थाने में हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहुंचे हासनदाग के ग्रामीणों के साथ शनिवार को पुलिस की हिंसक झड़प हो गयी।

इसमें जहां आक्रोशित ग्रामीणों की ओर से पुलिस पर पथराव किया गया, वहीं पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया। इससे भी बात नहीं बनने पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए। झड़प के दौरान मेराल थाना प्रभारी लाल बिहारी प्रसाद को ग्रामीणों ने पटक दिया। घटना का वीडियो बना रहे मुंशी शैलेंद्र सिंह को भी चोटिल कर दिया। इसमें दोनों ओर से करीब दो दर्जन लोग चोटिल हुए हैं।

चार ग्रामीणों को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के बाद गढ़वा रेफर कर दिया गया है। एसपी अंजनी कुमार झा ने बताया कि मामले को शांत करा लिया गया है। घटना की जांच की जा रही है।

जानकारी के अनुसार आज शनिवार को सुबह 10 बजे से लेकर अपराह्न चार बजे तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर मेराल थाना तथा आसपास का क्षेत्र रणक्षेत्र बना रहा। इस दौरान जहां पुलिस ग्रामीण व स्थानीय दुकानदारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीट रही थी, वहीं ग्रामीण भी मौका देखकर पुलिस पर पथराव कर रहे थे।

गढ़वा एसडीओ राज महेश्वरम एवं एसडीपीओ अवध कुमार यादव जानकारी होते ही मौके पर पहुंचे, लेकिन उन्हें भी स्थिति को सामान्य करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। घटना को लेकर पुलिस ने हासनदाग गांव और मेराल थाना के आसपास के क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी है। बड़े पदाधिकारी घटना के कारणों की जांच कर रहे हैं।

ये हुए घायलः ग्रामीणों में विष्णु चौधरी, पप्पू चौधरी, छोटेलाल चौधरी, कमलेश विश्वकर्मा, नंदू चौधरी, सुखाड़ी चौधरी, दुखन चौधरी, श्रवण चौधरी, समुद्री कुंवर, तपेश्वर चौधरी (सभी हासनदाग), अयूब अंसारी, अशोक कुमार मेहता व साहेब अली (तीनों मेराल) और पुलिस की ओर से थाना प्रभारी लालबिहारी प्रसाद, मुंशी शैलेंद्र सिंह, एसआई संजय कुमार, एएसआई सुधांशु प्रसाद यादव, एएसआई उमाशंकर प्रसाद, एएसआई शिवकुमार, आरक्षी राकेश कुमार, चेतलाल महतो आदि चोटिल हुए हैं।

बताया जा रहा है कि मेराल थाना के हासनदाग गांव में 18 अगस्त की सुबह में 70 वर्षीय नथन चौधरी का गांव के बाहर शव मिला था। ग्रामीणों ने इसे हत्या का मामला बताते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने से रोक दिया था। बाद में पुलिस की कार्रवाई के आश्वासन पर शव का अंत्यपरीक्षण कराया गया।

पुलिस ने इस मामले में उस दिन चार लोगों को हिरासत में लिया था, लेकिन दूसरे दिन चारों को पूछताछ के बाद थाने से ही छोड़ दिया था। ग्रामीण इसके बाद आक्रोशित होकर थाना पहुंच गये और उन्होंने थाना प्रभारी पर पैसा लेकर हत्या के आरोपियों को छोड़ने का आरोप लगाया। इसी दौरान उग्र ग्रामीणों के साथ थाना प्रभारी की तीखी बहस हो गयी और मामला हिंसक हो गया।

इस संबंध में एसपी अंजनी कुमार झा ने बताया कि मामले को शांत करा लिया गया है। घटना की जांच की जा रही है। जो भी लोग दोषी होंगे, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होगी और विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी।