प्रशांत अंबष्ठ
बोकारो। दक्षिण भारत के सबरीवाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं की प्रवेश पर प्रतिबंध है। सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे। इसलिए महिलाओं का प्रवेश वर्जित किया गया है।
इसी तरह का एक मंदिर झारखंड में भी है। यहां भी महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। इस मंदिर में महुआ शराब, सफेद मुर्गा और सफेद बकरा की बलि देेेेकर पूजा होती है। मन्नत मांगने पर मुराद पूरी होती है। लोग यहां पहुंच कर पूजा कराते हैं। सफेद मुर्गा या सफेद बकरा की बलि चढ़ाते हैं। मंदिर प्रांगण से बाहर प्रसाद नहीं ले जाया जाता है। प्रसाद प्रांगण से बाहर ले जाने पर अनहोनी होती है। आदिवासी समाज के लोग ही पुजारी के रूप में पूजा कराते हैं।
झारखंड के बोकारो जिले स्थित पेटरवार प्रखंड स्थित मुख्य चौक से 5 किलोमीटर गोमिया तेनु सड़क पर यह खूट्टा गढ़ मंदिर है। मंदिर खुट्टा बाबा के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में दूरदराज से लोग पूजा अर्चना करने आते हैं। बेरमो अनुमंडल के लोगों की आस्था अधिक देखने को मिलती है। मान्यता है कि किसी नई गाड़ी की इस मंदिर में पूजा कराने से सभी तरह की उसकी बाधाएं दूर होती है।
स्थानीय पुजारी बताते हैं कि दादा, परदादा के समय से यहां पूजा अर्चना की जा रही है। यहां सखुआ के पेड़ के खुटा के देवता के रूप में पूजा वर्षों से की जा रही है। किसी प्रकार के देवी देवता की प्रतिमा स्थापित नहीं है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि झारखंड गठन से पूर्व यह मंदिर चर्चित नहीं था। सिर्फ आस-पास के गांव के लोग और ग्रामीण यहां कर पूजा अर्चना करते थे। वर्ष, 2000 के बाद धीरे-धीरे इस मंदिर का चर्चा होने लगी। वर्तमान में सैकड़ों लोग प्रतिदिन यहां आते हैं। मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर पूजा अर्चना करते हैं। मुर्गा-बकरा की बलि देकर मंदिर परिसर में ही भोजन बनाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
मंदिर में महिलाओं का प्रसाद खाना और मंदिर परिसर में आना दोनों वर्जित है। मंदिर में बने प्रसाद को मंदिर प्रांगण से बाहर ले जाना भी वर्जित है। स्थानीय लोग और श्रद्धालुओं का मानना है कि खुटा बाबा क्षेत्र के लोगों की रक्षा करते हैं। उनकी सुख समृद्धि की भी रक्षा करते हैं।