महाराष्ट्र। देश भर की निगाहें आज सोमवार को महाराष्ट्र पर टिकी हैं। इसका कारण यह है कि महाराष्ट्र की राजनीति में 10 दिन की बगावत के बाद बड़ा उलटफेर करने वाले शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे की नई सरकार आज फ्लोर टेस्ट का सामना करेगी।
विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले रविवार देर रात मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने विधायकों के साथ मुंबई के एक होटल में बैठक की। इसमें बीजेपी कोटे से डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस समेत सभी विधायक भी शामिल हुए।
फ्लोर टेस्ट से पहले बीजेपी-शिंदे गुट के विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुन लिया है। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने भी शिंदे को नेता के तौर पर मान्यता दे दी है।
उनकी तरफ से भरत गोगावले को चीफ व्हिप नियुक्त कर दिया है। वहीं उद्धव गुट के अजय चौधरी को पहले विधायक दल का नेता बनाया गया था, उनकी नियुक्ति को स्पीकर ने रद्द कर दिया है। उनके साथ-साथ सुनील प्रभु को भी चीफ व्हिप के पद से हटा दिया गया है।
इसके बाद उद्धव गुट के विधायकों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। अगर वो नए चीफ व्हिप का आदेश नहीं मानते हैं, तो उनके खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई का रास्ता खुल जाएगा।
मुंबई के होटल में हुई बैठक के बारे में एक विधायक ने बताया कि शिवसेना- भाजपा गठबंधन सरकार विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सोमवार को बहुमत परीक्षण का सामना करने के लिए तैयार है। फ्लोर टेस्ट के लिए सरकार की रणनीति क्या होगी, इस पर सभी विधायकों की उपस्थिति में हुई बैठक में चर्चा की गई।
हालांकि शक्ति परीक्षण से पहले बीजेपी- शिंदे गुट प्रत्याशी राहुल नार्वेकर के स्पीकर चुने जाने के बाद लग रहा है कि सरकार को जादुई आंकड़ा पाने में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।
दरअसल 288 सदस्यीय विधानसभा में रविवार को हुए स्पीकर चुनाव में बीजेपी- शिंदे गुट के गठबंधन पक्ष में 164 वोट मिले थे। हालांकि स्पीकर के चुनाव में जीत के लिए 144 वोट चाहिए थे। यानी राहुल नार्वेकर को जीत से 20 वोट ज्यादा मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार राजन साल्वी को 107 विधायकों ने वोट किया। राहुल नार्वेकर ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 47 वोट के बड़े अंतर से हराया है।
विधानसभा में बीजेपी विधायक राहुल नार्वेकर के स्पीकर चुने जाने के बाद अब शिवसेना के दोनों गुटों की ओर से व्हिप का उल्लंघन करने पर विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग की गई है। एक ओर शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भारत गोगावाले ने ठाकरे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है, तो वहीं ठाकरे गुट की ओर से सुनील प्रभु ने शिंदे गुट के 39 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग करते हुए लेटर सौंपा है।