विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर कार्यशाला, मदद के लिए हाथ बढ़ाने का संकल्‍प लेने की अपील

झारखंड
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गिरिडीह। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर जमुआ प्रखंड के कारोडीह स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में जिला विधिक सेवाये प्राधिकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन रविवार को किया गया। वार्डन शैलबाला कुमारी ने अध्यक्षता की। एनएचआरसीसीबी जिलाध्यक्ष योगेश कुमार पांडेय ने कहा कि भारत सविधान के अनुसार किसी उद्योग, कारखाने में शारीरिक एवं मानसिक रूप से काम करने की उम्र 5 से 14 वर्ष की होने पर बालश्रम कहा जाता है। यूनीसेफ के अनुसार बच्चों का विनियोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि उनका आसानी से शोषण किया जा सकता है।

भारत में बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है, लेकिन वर्तमान युग में परिस्थिति काफी भिन्न है। भारत में जनगणना 2011 की रिपोर्ट बताती है कि देश में लगभग 10 मिलियन है यानी भारत की आबादी है 4% है। भारत में बालश्रम काफी विस्तृत रूप ले चुका है। बाल मजदूरी अब तस्करी का विकराल रूप धारण कर चुकी है। बच्चों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है। गरीब बच्चों को मजबूरी में श्रम करना पड़ रहा है। जिन हाथों में कलम और कॉपी होनी चाहिए, उनमें  झाड़ू, चाकू पकड़े के लिए मजबूर हैं।

पीएलवी सुबोध कुमार साव ने कहा कि बालश्रम पर लगाम लगाने के लिए कई संवैधानिक प्रावधान बनाये है। बाल श्रम एक ऐसा विषय है, जिस पर संघीय व राज्य सरकारें दोनों कानून बना सकती हैं। नियम के अनुसार 6 से 14 साल के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी। बच्चों की खरीद फरोख्‍त पर रोक लगाती है। बच्चों की खरीद फरोख्‍त पर रोक लगाती है।

पीएलवी हीरा देवी ने कहा कि नए कानून में बच्चों के लिये रोजगार की आयु को ‘अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ 2009 के तहत जोड़ा गया है। खेलने-कूदने और पढ़ने की उम्र में मजदूरी के बीच दबा देश का बचपन समाज पर एक कलंक है। कारखान और घरों में दयनीय परिस्थितियों में काम करने वाले ये बाल-श्रमिक देश की प्रगति के मुंह पर एक तमाचा है। इनकी संख्या करोड़ों में है। बाल श्रमिक युवा पीढ़ी के मुकाबले सस्ते दाम पर मिल जाते है। बच्चे देश का भविष्य है।

पीएलवी सहदेव साव, मुकेश कुमार वर्मा ने कहा कि बाल श्रमिकों की समस्या बहुत पुरानी है। इसके पीछे गरीबी के साथ ही मां-बाप का लोभ और पारिवारिक परिस्थिति कारण होती है। बाल श्रम गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, जनसंख्या वृद्धि और अन्य सामाजिक समस्याओं को बढ़ाता है।

बाल श्रम निषेध दिवस के दिन हमें यह शपथ लेनी चाहिए कि‍ अगर किसी बालक पर अत्याचार या उसके साथ दुर्व्यवाहर होते देखे तो तुरंत उसे मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाये। चाईल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर कॉल करें।