रांची। मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी गोपाल जी तिवारी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एसीबी ने राज्य सरकार से मुकदमा चलाने के लिए अनुमति मांगी है। जुलाई 2020 में एसीबी ने कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति जमा करने के लिए उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच दर्ज की थी।
हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद गोपाल जी तिवारी को अपना ओएसडी नियुक्त किया था। वह सड़क निर्माण विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर हैं। यह एसीबी का डेढ़ साल के भीतर तीसरा रिमाइंडर है। डेढ़ साल पहले एसीबी की प्रारंभिक जांच में गोपालजी तिवारी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप की पुष्टि हुई थी।
पीई में आय से अधिक संपत्ति की पुष्टि के बाद एसीबी ने मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग से प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। गोपाल जी तिवारी पर पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक 21.55 करोड़ रुपए अर्जित करने और काली कमाई को जमीन व फ्लैट में निवेश करने का आरोप था।
शिकायतकर्ता अधिवक्ता राजीव तिवारी ने मुख्यमंत्री को आवेदन देकर आरोप लगाया था कि गोपाल जी तिवारी के बेटे नीलाभ तिवारी की कंपनी मेसर्स किंग्सले डेवलपर में भ्रष्टाचार से र्अिजत धन को निवेश किया गया है। इस कंपनी का दफ्तर अशोक नगर में है। एसीबी ने कंपनी के बैंक खाते व गोपाल जी तिवारी के बैंक खाते की भी पड़ताल की थी। हर जगह भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई थी।
मंत्रिमंडल निगरानी को की गई अनुशंसा में एसीबी ने लिखा है कि सीएम के पूर्व ओएसडी गोपाल जी तिवारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर्याप्त तथ्य मौजूद हैं, इसलिए प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दी जाए।