
रांची। प्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट एवं चिन्मय मिशन आश्रम के अध्यक्ष विनोद कुमार गढयान ने कहा है कि कुरुक्षेत्र के रणक्षेत्र में प्रादुर्भूत श्रीमद्भागवद्गीता सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। इसमें जीवन प्रबंधन का विज्ञान निहित है। यह भ्रम, द्वंद्व, अधूरापन और अनिर्णय की स्थिति से उबारकर सुमार्ग पथ पर लाने वाला ग्रन्थ है। वे शनिवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित गीता जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में ‘शिक्षा जगत में गीता की प्रासंगिकता’ विषय पर अपने विचार रख रहे थे।
श्री गढयान ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े शिक्षक भगवान श्रीकृष्ण के मुख से युद्ध क्षेत्र में धनुर्धर अर्जुन के लिए लगभग पांच हज़ार वर्ष पूर्व निःसृत गीता समस्त विश्व के लिए आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी पहले थी। इसके प्रति आकर्षण कम नहीं हुआ, बल्कि बढ़ता ही गया। कौरव-पांडव महाभारत युद्ध में दुश्मनों की सेना के साथ खड़े पितामह, गुरु और स्वजनों पर वाण चलाने की स्थिति आने से व्यथित, किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन जब हथियार डालकर रथ की पिछली सीट पर जा बैठे थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें यह उपदेश दिया था।

श्री गढयान ने कहा कि गीता के अनुसार जो अनीति, अनाचार, अधर्म और अत्याचार के मार्ग पर खड़े हैं, उनकी मृत्यु पर शोक नहीं करना चाहिए। जैसे सीमा पर मारे जानेवाले घुसपैठियों या आतंकवादियों के लिए कोई शोक नहीं मनाया जाता। महर्षि व्यास द्धारा काव्यरूप में प्रस्तुत सर्वशास्त्रमयी गीता वस्तुतः हमारी मां के स्वरूप में है, जो अपने आंचल में हमें वात्सल्य प्रदान करती है। हमारे दोषों को दूर कर हमें सुमार्ग पर लाती है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि महाभारत एक ही परिवार के बीच की लड़ाई का आख्यान है। इसलिए हमें अपने व्यापक परिवार यानी विभाग, संकाय, विश्वविद्यालय में शांति, शुचिता, कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी, एकता और सौहार्द्र की व्याप्ति के लिए सतत प्रयास करना चाहिए। अपने कर्तव्यों से विमुख होकर शांति की कामना नहीं करनी चाहिए।
निदेशक छात्र कल्याण डॉ डीके शाही स्वागत करते हुए मुख्य अतिथि का परिचय दिया। पंकज वत्सल ने धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन शशि सिंह ने किया। इस अवसर पर चिन्मय मिशन के गीता स्वाध्याय मंडल के समन्वयक वेदप्रकाश बागला, बीएयू के वरिष्ठ पदाधिकारी डॉ ऋषिपाल सिंह, डॉ एमएस यादव, डॉ जेडए हैदर, डॉ ए वदूद, डॉ पीके सिंह, डॉ एमएच सिद्दीकी, डॉ बीके अग्रवाल सहित शिक्षक और कर्मी काफी संख्या में उपस्थित थे।