गुमला। गुमला जिला अंतर्गत घाघरा प्रखंड के तेंदार पाकरकोना गांव की असुर जनजाति नाबालिग (16 वर्ष) को पुलिस ने दिल्ली से मुक्त करा गुमला लेकर पहुंची। लड़की को सीडब्ल्यूसी, गुमला को सौंप दिया गया। अभी नाबालिग को सीडब्ल्यूसी के संरक्षण में गुमला के बालगृह में रखा गया है।
नाबालिग को मानव तस्कर ने एक साल पहले दिल्ली में एक घर में काम करने के लिए छह हजार रुपए में बेच दिया था। लड़की की उम्र 16 साल है, लेकिन उसके आधार कार्ड में फेर-बदलकर उसकी उम्र अधिक बताकर घरेलू काम में रखा गया था। दिल्ली से मुक्त होकर गुमला पहुंची लड़की ने बताया कि उसे तेंदार गांव का एक मानव तस्कर दिल्ली ले गया था। वहां उसे काम करने के लिए छह हजार रुपए में बेच दिया। उसके बाद मानव तस्कर वहां से वापस गुमला आ गया था। उसने कहा कि अब वह दिल्ली नहीं जाएगी।
असुर जनजाति लड़की ने बताया कि वह पांचवीं कक्षा में पढ़ती है। लॉकडाउन में स्कूल बंद है। वह दो वर्षों से घर पर बेकार बैठी हुई थी। मोबाइल नहीं रहने के कारण वह ऑनलाइन पढ़ाई भी नहीं कर पा रही थी। मोबाइल खरीदने के लिए उसके माता-पिता के पास पैसे भी नहीं हैं। पिता खेती-बारी कर परिवार की जीविका चलाते हैं। लड़की ने बताया कि वे लोग छह भाई-बहन है।
वह घर में सबसे बड़ी है। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह मानव तस्कर के बहकावे में आकर पैसा कमाने दिल्ली चली गई थी। गुमला सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन कृपा खेस ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने लड़की को एक घर से मुक्त कराया है। उसके बाद लड़की को गुमला लाया गया। लड़की का बयान लिया गया है। उसके परिजनों से संपर्क कर उन्हें बुलाकर लड़की को परिवार को सौंपा जाएगा।
सीडब्ल्यूसी सदस्य धनंजय मिश्रा ने कहा कि असुर जनजाति की बच्चियां मानव तस्करी की शिकार अधिक होती हैं। मानव तस्करों को चिह्नित कर उनलोगों को जेल भेजने की जरूरत है। इसके लिए प्रशासन को कड़ा कदम उठाना चाहिए।