राष्ट्रीय युवा दिवस : संभावनाओं को साकार करें

विचार / फीचर
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अर्जुन राम मेघवाल

प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है, जो प्रत्येक व्यक्ति को विचार मंथन करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अतिरिक्त यह नव वर्ष के स्वागत के रूप में लिए गए संकल्प की प्राप्ति हेतु दृढ़ निश्चय को और अधिक सुदृढ़ करने का अवसर भी प्रदान करता है। वहीं पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हमारा देश अमृतकाल के लिए परिवर्तनशील यात्रा की ओर बढ़ने के लिए और स्वतंत्रता के 100 वर्ष के जश्न को मनाने की तैयारी कर रहा है। आज की युवा पीढ़ी राष्ट्र की इस प्रस्तावित यात्रा में उत्तरदायित्व के प्रति सबसे महत्वपूर्ण हितधारक की भूमिका निभा रही है। अतः राष्ट्रीय युवा दिवस युवाओं की अप्रयुक्त क्षमता को दिशा देने हेतु ज्ञान का प्रसार करता है। उसे कारगर बनाता है ताकि संभावनाओं को साकार किया जा सके। 

यह स्वामी विवेकानंद की बुद्धिमत्ता थी जिसके कारण स्वाभिमान और राष्ट्रीय जागरुकता को पुनः स्थापित किया जा सका। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे स्वयं को जागरूक बनाएं और देश के उत्थान के लिए कार्य करें। जनता में उनके द्वारा प्रचारित ज्ञान से यह विश्वास उत्पन्न हुआ कि ब्रिटिश राज की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भी, भारत एक जीवंत राष्ट्र है। इसके पास विश्व के अन्य देशों के लिए एक संदेश है। विश्व धर्म-संसद, शिकागो में उनकी सहभागिता और तत्पश्चात उनकी यात्राओं के परिणामस्वरूप पश्चिम जगत का परिचय वेदान्त दर्शन से हुआ। देशभक्ति से ओत-प्रोत भावनाओं के सबसे पहले शिल्पकारों में से एक के रूप में, उन्होंने भाषायी, सांस्कृतिक और धार्मिक भेद रखने वाले देशवासियों से कहा कि वे अगले 50 वर्षों तक भारत माता का वन्दन ऐसे एकमात्र ईश्वर के रूप में करें जो जागृत है।

स्वामी जी के जीवनकाल के समय से, विश्व कई मायनों में बहुत अधिक बदल गया है और दो द्वितीय विश्वयुद्धों का साक्षी बना है। यह स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक चेतना, ऐतिहासिक शक्तियों की गहन और सही समझ ही थी कि 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक के दौरान मिशिगन यूनिवर्सिटी में उनके द्वारा की गई तीन भविष्यवाणियों में से दो भविष्यवाणियां सत्य सिद्ध हुई हैं। अगले 50 वर्षों में भारत की स्वतंत्रता, रूस की सर्वहारा क्रांति और साम्यवादी विचारधारा की कम होती लोकप्रियता से संबंधित उनकी भविष्यवाणियां सत्य सिद्ध हुईं। भारत द्वारा समृद्धि और शक्ति की महान ऊंचाइयों तक पहुंचने से संबंधित उनकी एक अन्य भविष्यवाणी के सच सिद्ध होने की प्रतीक्षा है। अतः युवा पीढ़ी इस भविष्यवाणी को सही सिद्ध करने के लिए देश को अपेक्षित ऊंचाइयों तक ले जाएगी। राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘मेरी आस्था युवा पीढ़ी, नई पीढ़ी में है। इन्हीं में से मेरे राष्ट्र के ऊर्जावान कार्यकर्ता आएंगे। वे सिंह के समान पूरी समस्या का हल ढूंढ निकालेंगे।‘

भारत एक युवा और महत्वाकांक्षी देश है। हमारी 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। हमारी 62 प्रतिशत जनसंख्या 15-59 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग की है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि भारत की जनसंख्या की औसत आयु 2020-23 तक चीन की 37 वर्ष की और पश्चिमी यूरोप की 45 वर्ष की आयु की तुलना में 28 वर्ष की होगी जो इस बात को परिलक्षित करता है कि भारत की गैर-कामकाजी लोगों की जनसंख्या की तुलना में कामकाजी जनसंख्या में वृद्धि हो जाएगी जिसके परिणामस्वरूप एक अनुकूल जनांकीय लाभ होगा। 

सरकार के पारिस्थितिकी तंत्र और एक सशक्त नेतृत्व द्वारा समर्थित हमारी युवा पीढ़ी की दृढ़ इच्छाशक्ति एक लंबी यात्रा को परिलक्षित कर रही है। अब भारत तेजी से आगे बढ़ने वाले राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। यूनिकॉर्न स्टार्टअप की बढ़ती संख्या, ओलम्पिक खेलों में भारत के प्रदर्शन में सुधार, सिलिकॉन वैली में भारतीय नेतृत्व की सर्वसिद्ध क्षमता, उभरता सशक्त महिला नेतृत्व, वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति, अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियां, टीकाकरण आदि कुछ ऐसे महत्वपूर्ण काम हैं जो हमें गर्व का अनुभव कराते हैं। बाहरी दुनिया में एक उद्देश्य को लेकर एक साथ कार्य करने हेतु स्वयं को प्रेरित करने के लिए व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से हमें गहन आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है।

आज के जटिल जगत की चुनौतियां संपूर्ण मानवता को चुनौती दे रही हैं। युवाओं को 21वीं शताब्दी की चुनौतियों के प्रति कोई ठोस सक्रिय कार्रवाई करने हेतु भारत के ऐतिहासिक और प्राचीन ज्ञान के भंडार से सीख लेने की आवश्यकता है। यदि इस पर उचित रूप से कार्रवाई नहीं की गई तो विश्व को गंभीर दुष्परिणाम भुगतने होंगे जिससे इस ब्रह्मांड की सबसे सुंदर रचना अर्थात मानव के लिए विनाश और असाधारण संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। चल रही महामारियों, वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिग) से उत्पन्न खतरे, जलवायु परिवर्तन, जैव-आतंक और नशीले पदार्थों की तस्करी, अंतरिक्ष युद्ध ऐसी आसुरी शक्तियां हैं जिन पर युवाओं की ओर से महत्वपूर्ण रूप से ध्यान दिए जाने और उनकी ऊर्जा इनसे जुड़े कार्यों में समर्पित करने की आवश्यकता है ताकि उनके कार्यों के आयामों को और विस्तार दिया जा सके। युवा पीढ़ी को प्रौढ़ पीढ़ी वाली आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु अपना हाथ आगे बढ़ाना होगा और ध्यानपूर्वक अपने दायित्वों का वहन करना होगा। यह बात मन को प्रसन्नता देने वाली है कि अब युवा पीढ़ी जलवायु के प्रति अधिक जागरूक है।  

एक चीज जो सदैव शाश्वत रहती है वह है ‘परिवर्तन’। अब युवा इस परिवर्तन के पथ प्रदर्शक हैं और इसकी गति और परिमाण पहले से कहीं अधिक बढ़ रहे हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर जारी आमूल-चूल परिवर्तन और इसके साथ-साथ मैटावर्स जैसा उदीयमान वर्चुअल जगत इस विश्व को एक वैश्विक गांव के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं और यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के ज्ञान का द्योतक है। तथापि, ऐसे विकास और उनके अनुप्रयोग के लिए गंभीर और निरन्तर नैतिक रूप से पुनः समीक्षा किए जाने की आवश्यकता होती है। नैतिक मूल्यों से युक्त व्यक्तियों का यह दायित्व है कि वे सावधान रहें और सक्रिय रूप से इस बात की जांच करते रहें कि आगामी नवोन्मेष और तकनीकी प्रगति मानवता की नैतिकतापूर्ण ढंग से सहायता कर रहे हैं। इसके प्रति लापरवाही बरतने के कारण सभी हितधारकों को अत्यंत विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। व्यक्ति-आधारित सशक्त मानवीय मूल्यों से संवहनीय रूप में सामूहिक हित प्राप्त किया जा सकता है। यह सही समय है कि प्रत्येक व्यक्ति, विशेषकर युवा आत्ममंथन करें कि इस समय साधन भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना कि साध्य।         

उपरोक्त संदर्भ में यह इस समय की आवश्यकता है कि प्रत्येक व्यक्ति और विशेष रूप से युवा अपने राष्ट्र की सत्ता को समृद्धि और ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए खुद को तैयार करें। भारत के युवाओं में हमारे पूर्वजों द्वारा परिकल्पित लक्ष्यों को प्राप्त करने की असीम क्षमता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार युवाओं की क्षमता को बढ़ाने के लिए माहौल पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

मोदी सरकार कर्मयोगी स्वामी विवेकानंद द्वारा सिखाए गए कार्यकलापों की महान विचारधारा का पालन कर रही है और यह सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में परिलक्षित होता है। समयबद्ध तरीके से 150 करोड़ से अधिक टीकाकरण करना, वैक्सीन मैत्री पहल के माध्यम से 95 से अधिक राष्ट्रों को स्वदेशी रूप में विकसित वैक्सीन और उपकरण उपलब्ध कराना, स्वच्छ भारत अभियान, आत्मनिर्भर भारत अभियान, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन इसके प्रमाण हैं। 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था और दुनिया की ज्ञान महाशक्ति बनाने के लिए नीतियां तैयार की गई हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, औद्योगिक-अकादमिक कड़ियां, उद्यमशीलता कौशल को बढ़ाना, विश्व स्तरीय अवसंरचना, खेल संस्कृति को बढ़ावा देना, बेहतर अनुसंधान विकास पारिस्थितिकी तंत्र आदि, अन्य बातों के साथ-साथ, राष्ट्र निर्माण में युवाओं को एकीकृत करने के उपाय हैं। सकारात्मक कार्यकलापों के परिणामस्वरूप समाज के वंचित वर्गों का सामाजिक उत्थान होता है और एक सुदृढ़ समाज का निर्माण होता है। तथापि, नागरिक सोसाइटियों, स्थानीय और राज्य सरकारों, निजी भागीदारों, मीडिया एवं सक्रिय नागरिकों और अन्य सभी हितधारकों के प्रयासों से कार्यान्वयन को अक्षरशः सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। 

यह राष्ट्रीय युवा दिवस राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ-साथ व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु इच्छाशक्ति, सही दृष्टिकोण और चरित्र पर बल देते हुए कार्यकलापों की महान विचारधारा को सुधारने का उपयुक्त समय है। अमृतकाल के दौरान हमारे कार्यकलापों से 21वीं शताब्दी के नेतृत्व के लिए भारत को तैयार करने की संभावनाओं को वास्तविकता में बदलने की स्वामी विवेकानंद की तीसरी भविष्यवाणी साकार हो जाएगी।

(लेखक केन्द्रीय संस्कृति एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री, भारत सरकार एवं लोकसभा सांसद, बीकानेर निर्वाचन क्षेत्र हैं)