रबी मौसम में बीएयू ने विकसित की तीसी की किस्म

कृषि झारखंड
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  • वैज्ञानिकों ने तीसी फसल कार्य समूह की वर्चुअल बैठक में दी जानकारी

रांची । आईसीएआर की हैदराबाद स्थित अनुषंगी इकाई भारतीय तेलहन अनुसंधान केंद्र (आईआईओआर) ने पूरे देश में चल रहे तीसी शोध कार्यक्रमों की समीक्षा के लिए तीसी फसल कार्य समूह की वर्चुअल बैठक की। इसमें आईआईओआर के नवनियुक्त निदेशक डॉ एम सुजाता और राष्ट्रीय परियोजना समन्यवयक डॉ एएल रतन कुमार ने आईसीएआर के सौजन्य से पूरे देश में संचालित सभी 20 अखिल भारतीय समन्वित तीसी अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी ऑन लीनसीड) और 15 वालंटियर केंद्रों के शोध कार्यक्रमों की समीक्षा की। तीसी शोध से जुड़े पूरे देश से 53 वैज्ञानिकों ने उसमें भाग लिया। सभी केंद्रों की शोध उपलब्धियों पर चर्चा की गई। पूरे देश में तीसी फसल के अच्छादन क्षेत्र व उत्पादकता में कमी के कारणों पर वैज्ञानिकों ने मंथन किया।

एआईसीआरपी ऑन लीनसीड, बीएयू, रांची केंद्र से परियोजना अन्वेषक डॉ सोहन राम और सह परियोजना अन्वेषक डॉ मनोज कुमार वर्णवाल ने भाग लिया। केंद्र के शोध कार्यक्रम एवं भावी शोध कार्यो की जानकारी दी। डॉ सोहन राम ने बताया कि केंद्र द्वारा चालू रबी मौसम में तीसी की एक किस्म ‘बिरसा तीसी -1’ विकसित की गयी है। केंद्र द्वारा अबतक तीन किस्में विकसित की जा चुकी है। तीसी फसल के देश–विदेश के 33 सौ जनन द्रव्य (जर्म प्लाज्म) के संरक्षण के लिए सभी जर्म प्लाज्म की बुआई की जा चुकी है।

केंद्र द्वारा 10 समन्वित प्रायोगिक प्रक्षेत्र, 5 स्टेशन प्रायोगिक प्रक्षेत्र और 3 बहुउद्देशीय प्रक्षेत्र लगाए गए है। केंद्र द्वारा विकसित दिव्या एवं प्रियम किस्मों के प्रजनक बीज उत्पादन कार्यक्रम चलाये जा रहे है। इन दोनों किस्मों के आधार बीज का उत्पादन कार्यक्रम निदेशालय बीज एवं प्रक्षेत्र तथा हजारीबाग स्थित गोरियाकरमा बीज उत्पादन केंद्र में चलाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के शस्य तथा मृदा विज्ञान विभाग के द्वारा भी 5 शोध विषयों पर प्रायोगिक प्रक्षेत्र चलाया जा रहा है।

डॉ राम ने कहा कि प्रदेश में तीसी फसल के अच्छादन क्षेत्र को बढ़ावा देने के भी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। परियोजना अधीन टीएसपी कार्यक्रम के तहत रांची जिले के चान्हो प्रखंड के 6 गांवों के करीब 200 किसानों के खेत में दिव्या एवं प्रियम किस्मों का अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण (एफएलडी) कराया गया है। इसके आलावा इन दोनों किस्मों पर विकास भारती केवीके, विशुनपुर, गुमला द्वारा करीब 100 और केवीके, गढ़वा ने करीब 300 किसानों के खेत में एफएलडी कराया है। केवीके, लोहरदगा एवं केवीके, पश्चिम सिंहभूम द्वारा भी किसानों के यहां एफएलडी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

आईआईओआर निदेशक डॉ एम जया ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए क्षेत्र के एनजीओ के समन्वित सहयोग से प्रसार सुविधाओं को सशक्त करने, उपयुक्त सिंचित किस्मों को बहुप्रचारित करने, तीसी के मूल्यवर्धन आधारित उद्योगों को बढ़ावा, उपयुक्त बाजार और न्यूनतम समर्थन मूल्य 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल किये जाने की आवश्यकता जताई। डॉ  जया ने रांची केंद्र के शोध एवं प्रसार कार्यो की सराहना की।