आज इस तरह करें छठ पूजा, जानें सूर्य को अर्घ्य देने का समय और मंत्र

झारखंड
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रांची। सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा आज 10 नवंबर दिन बुधवार को देशभर में धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। अपने संतान के सुखी जीवन के लिए किया जाने वाले छठ महापर्व में नहाय-खाय और खरना के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठी माता की पूजा की जाती है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा करते हैं।

छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बिना छठ पूजा अधूरी है। षष्ठी तिथि यानी आज शाम के समय में डूबते सूर्य को और अगले दिन प्रात: उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

आइए जानते हैं इस वर्ष छठ पूजा में अर्घ्य देने का मुहूर्त: आज शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय: शाम 05 बजकर 30 मिनट पर। कल प्रात: उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय: प्रात: 06 बजकर 41 मिनट पर। छठ पूजा मुख्यत: चार दिनों का होता है। य​ह कठिन व्रतों में से एक है क्योंकि इसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना पड़ता है।

छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना होता है। इसे लोहंडा भी कहा जाता है। खरना को शाम गुड़ वाली खीर खाते हैं और फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं। खरना को छठ पूजा का डाल सजाते हैं। डाल में ही पूजा सामग्री और प्रसाद रखते हैं। छठ पर्व के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है।

संकल्प लेते समय इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता है- * ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये। पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें।

इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें। साथ में थाली, दूध और गिलास ले लें। फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन रखें। इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें।

सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें। इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें। * ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥*