प्रशांत अंबष्ठ
गोमिया (बोकारो)। नक्सलियों ने मुखबीरी के आरोप में बुधन मांझी की हत्या कर दी थी। उसकी हत्या के 11 वर्ष गुजर जाने के बाद भी पत्नी पार्वती देवी (55) को मुआवजा नहीं मिला। पैसे के अभाव में बीमारी पत्नी बेहतर इलाज नहीं करा सकी। अंतत: उसकी भी मौत हो गई।
झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत पचमो पंचायत के झुमरा पहाड़ निवासी स्व. बुधन मांझी की हत्या वर्ष 2010 में नक्सलियों ने कर दी थी। उसपर मुखबीरी का आरोप लगाया था। इस घटना के 11 वर्ष गुजर जाने के बाद भी आश्रित पत्नी पार्वती देवी को मुआवजा नहीं मिला। मुआवजा के लिए बोकारो से लेकर रांची तक विभाग में दौड़ लगाती रही। बाबू से लेकर अधिकारी तक टालते रहे। विधायक डॉ लबोंदर महतो को भी आवेदन दिया गया था। उन्होंने भी प्रयास किया, पर सफलता नहीं मिली।
गुरूवार की मध्य रात्रि पार्वती देवी की गोमिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। वह टीबी से ग्रस्त थी। उसके दत्तक पुत्र बहादुर मांझी ने कई जगहों में इलाज कराया। एक माह पूर्व मिशन हॉस्पिटल में इलाज कराया था। तीन दिन पूर्व गोमिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज किया गया। उसे दवा देकर घर पर रहकर इसे खाने की सलाह दी गई थी। बीते रात अचानक तबीयत बिगड़ने पर करीब दस बजे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया।
अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ हलन बारला ने इलाज किया। उसे आराम भी मिला। मध्य रात के बाद अचानक तबीयत बिगड़ गयी। इसके बाद पार्वती की मृत्यु हो गयी। मृतक के दत्तक पुत्र ने अश्रु भरे स्वर में कहा, फुआ को बचाने के लिये नौ हजार में तीन गाय बेचे, पर बचा नहीं पाये।
पार्वती देवी की मृत्यु के बाद शव झुमरा ले जाने के लिए बहादुर मांझी से प्राइवेट एंबुलेंस चालकों ने 6 हजार रुपये की मांग की। इसकी सूचना मिलने पर बीडीओ कपिल कुमार ने अस्पताल प्रभारी डॉ बारला से बात कर एंबुलेंस की व्यवस्था कराई। इसके बाद शव गोमिया से झुमरा पहाड़ ले जाया गया।