विवेक चौबे
गढ़वा। पेंशन के लिए वर्षों से दिव्यांग दफ्तरों का चक्कर लगा रही है। पहले पति के भरोसे घर चल जाता था। अब पति भी नहीं रहा। पेंशन के लिए उससे आधार कार्ड मांगा जा रहा है। हालांकि उसका आधार कार्ड नहीं बन पा रहा है। इसके कारण उसके आवेदन को खारिज कर दिया जा रहा है।
यह मामला गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत खुटहेरिया पंचायत के केवाल टोला निवासी 65 वर्षीय हसबुन बीबी की है। वह वर्षों से पेंशन के लिए दफ्तरों का चक्कर लगा रही है। बीते 40 वर्षों से पूर्णत: दिव्यांग है। उसके हाथ और पैर में एक भी उंगलियां सलामत नहीं हैं। किसी तरह जिंदगी की गाड़ी खींच रही है। बेहद निर्धन होने के बावजूद आजतक उसे वृद्धावस्था पेंशन नहीं बन मिल पायी है। दरअसर महिला की उंगलियां नहीं है। इसलिए फिंगरप्रिंट नहीं मिल रहा। इसके कारण उसका आधार कार्ड भी नहीं बन पा रहा है। नतीजतन, वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं मिल पा रहा है।
करीब 40 वर्ष पूर्व हसबुन बीबी की दोनों हाथ और पैरों की उंगलियां किसी अज्ञात बीमारी से पूरी तरह खत्म हो गई हैं। तभी से वह पूर्णतः दिव्यांग का जीवन जी रही है। एक माह पूर्व उक्त पीड़ित महिला के पति नेयामुद्दीन अंसारी की भी मौत हो गई। दिव्यांगता की स्थिति में कई बार पेंशन की स्वीकृति के लिए प्रखंड से जिलास्तर के दफ्तरों के चक्कर लगा चुकी है। सभी जगह उसके आवेदन को नकार दिया गया।
इसकी जानकारी मिलने पर खुटहेरिया पंचायत की मुखिया अनिता देवी ने जिला कल्याण पदाधिकारी और सामाजिक सुरक्षा निदेशक से हसबुन बीबी के संबंध में चर्चा की। पूरे मामले को समझने के बाद अधिकारी ने बताया कि बिना उंगली के बिशुनपुरा प्रखंड में मौजूद एक मशीन से आधार कार्ड बनाया जाता है। आधार कार्ड बन जाने के बाद पेंशन स्वीकृत हो जाएगी।