अनिल बेदाग
मुंबई। जीजी इंजीनियरिंग ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तुत नई प्रोग्रेसिव इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी की सराहना की है। कंपनी का मानना है कि यह पॉलिसी मैन्युफैक्चरिंग कम्पनीज के हित में है, क्योंकि इसकी योजना उद्योगों व कंज्यूमर्स दोनों के लिए इंसेंटिव्स की पेशकश करता है। राज्य की ईवी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों और उनसे जुड़े व्यवसायों को आकर्षित करता है। इस अभियान के अंतर्गत शासन ने राज्य में 2025 तक एक सम्पूर्ण ईवी इकोसिस्टम के विकास और प्रमोशन के लिए 930 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
हाल ही में जीजी इंजीनियरिंग ने अपनी नई प्रोडक्ट लाइन, ईवी चार्जिंग स्टेशन के लांच की घोषणा की है। अपनी प्रोडक्ट लाइन को बढ़ाने के उद्देश्य से कंपनी ने एक ईवी चार्जिंग स्टेशन का निर्माण किया है, जिसकी क्षमता 3 KW से 22 KW की है। कंपनी ईवी चार्जिंग स्टेशन के निर्माण को भी प्रारम्भ करेगी। ये स्टेशन्स दो पहिया, तीन पहिया और चार पहिया वाहनों को चार्ज करने के लिए उपयोग में लिए जाएंगे। यह निर्माण और वितरण नेटवर्क 3 महीनों में शुरू हो जाएगा। खास बात यह है कि यह उत्पाद पूरी तरह ‘मेड इन इंडिया’ होगा।
गौरतलब है कि अन्य लक्ष्यों के साथ ही महाराष्ट्र सरकार का इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बनाने का लक्ष्य 2025 तक रजिस्ट्रेशन के 10 प्रतिशत शेयर को प्राप्त करना है। इस नीति के अनुसार राज्य सरकार का लक्ष्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट और लास्ट माइल डिलीवरी व्हीकल में 25 प्रतिशत ईवी तकनीक को अपनाना है। यह काम 6 प्रमुख शहरों, मुम्बई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद और नासिक में निर्धारित समय में शुरू होगा। इसके साथ ही सरकार की इच्छा अप्रैल, 2022 से शासकीय वाहनों के बेड़े में पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करने की भी है।
इससे भी अधिक इस नीति के अंतर्गत सरकार राज्य के प्रमुख शहरों एवं हाइवे पर 2,500 चार्जिंग स्टेशंस स्थापित करने के लिए सब्सिडी इंसेंटिव्स के जरिये विशेष इन्सेंटिव्ज प्रदान करेगी। साथ ही इस नीति के अनुसार नए रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स में ईवी चार्जिंग रेडी पार्किंग साइट्स स्थापित करना अनिवार्य होगा। ये नई नीति बैटरी के उत्पादन को भी बढ़ावा देगी। इस रिवाइज्ड ईवी पॉलिसी से इनोवेशन, अनुसंधान, विकास और स्किल डेवलपमेंट को प्रोत्साहन मिलेगा।