कृषि विकास को गति देने में प्रसार तंत्र को सशक्त करने की जरूरत : डॉ ओंकार नाथ सिंह

कृषि झारखंड
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  • बीएयू में 35वीं एक्सटेंशन एजुकेशन काउंसिल की बैठक का आयोजन

रांची। पूरे देश एवं प्रदेशों में कृषि विकास को अधिक प्राथमिकता दिये जाने से राज्य में स्थित कृषि प्रसार तंत्रों पर कार्यभार एवं दायित्व काफी बढ़ गया है। कोविड-19 के बावजूद राज्य में शोध और प्रसार से जुड़े जिले स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों ने अपने कार्यक्रमों के माध्यमों से उल्लेखनीय योगदान दिया है। ये सभी केंद्र तकनीकी मानव संसाधन एवं अन्य समस्यायों से जूझ रहे हैं। जिसका कृषि विकास पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। राज्य सरकार से पूरा सहयोग मिल रहा है। राज्य सरकार के पदाधिकारियों में विशेषकर कृषि सचिव के सार्थक सहयोग भी प्राप्त हो रहा है। जल्द ही प्रसार तंत्र की प्रमुख समस्यायों का समाधान मिलने की संभावना है। राज्य में कृषि विकास को गति देने में सरकार के सहयोग एवं समन्वय से प्रसार तंत्र को सशक्त करने कीआवश्यकताकी दिशा में विश्वविद्यालय प्रयासरत है। उक्त बातें बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की 35वीं एक्सटेंशन एजुकेशन काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह  ने कही।

केन्द्रों को सशक्त किया जा सकता है

कुलपति ने कहा कि केवीके को स्थानीय जिला प्रशासन से भी सहयोग मिल रहा है। जिले के विकास में सहयोग का दायरा बढाकर इन केन्द्रों को सशक्त किया जा सकता है। इससे जिले में कृषि प्रसार को गति देने में मदद मिलेगी। कृषि मंत्री के निर्देश पर चालू खरीफ मौसम में राज्य के प्रत्येक जिलों में 20-20 बिरसा किसान का चयन कर केवीके द्वारा बीज आच्छादन कार्यक्रम एवं तकनीकी परामर्श का सफल संचालन हो रहा है। विवि द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की जन्म स्थली उलीहातु में शोध एवं प्रसार के अनेकों कार्यक्रमों को निदेशालय प्रसार द्वारा चलाया जा रहा है। इस अवसर पर कुलपति ने निदेशालय प्रसार शिक्षा द्वारा प्रकाशित एक्सटेंशन हाईलाइट्स : 2020-21 का भी विमोचन किया।

केवीके का उत्‍पादन बढ़ाने में योगदान

विशिष्ठ अतिथि पूर्व कुलपति (बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, सबौर, भागलपुर) डॉ एके सिंह ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के दलहन हब कार्यक्रमों का देश में दलहन उत्पादन में करीब 40 फीसदी बढ़ोतरी का अहम् योगदान रहा है। वर्तमान में कृषि प्रसार की उपलब्धियों की अपेक्षा उम्मीदें काफी ज्यादा है। प्रदेश की कृषि शिक्षा प्रसार प्रणाली को उभरते हुए किसानों की जरूरत, मांग एवं उसकी सार्थकता पर विशेष ध्यान केन्द्रित करनी होगी।

छोटे एवं सीमांत किसानों को प्राथमिकता

विशिष्ठ अतिथि डायरेक्टर (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पल्स रिसर्च, कानपुर) डॉ एनपी सिंह ने कहा कि कृषि विकास को बढ़ावा देने में छोटे एवं सीमांत किसानों के उपयुक्त तकनीकों को चिन्हित कर प्राथमिकता देनी होगी। राज्य में शोध एवं प्रसार तंत्र की कड़ी को सशक्त करते हुए फीडबेक मेकेनिज्म के द्वारा कार्यो को आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने देश में दलहन उत्पादन में 14 मिलियन टन से 26 मिलियन टन तक बढ़ोतरी में पूरे देश के केवीके के योगदान का उल्लेख किया। जिले के कृषि विकास में केवीके की प्रासंगिता पर प्रकाश डाला।

सांतवा वेतनमान की दिशा में पहल हो

मौके पर डायरेक्टर अटारी, पटना डॉ अंजनी कुमार ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्य की परिधि का काफी विस्तार हो चुका है। राज्य के सभी केवीके में रिक्त पड़े पदों पर नियमित नियुक्ति से मानव संसाधन बल को सशक्त करने की आवश्यकता है। दामु एवं नारी जैसे नये कार्यक्रमों को प्राथमिकता देनी होगी। केवीके वैज्ञानिकों के सांतवा वेतनमान एवं इसके एरियर की दिशा में पहल करने की जरूरत है।

सूदूर गांवों के किसानों तक पहुंच

बीएयू के शोध निदेशक डॉ ए वदूद ने कहा कि जिले में कार्यरत केवीके के होने से सूदूर गांवों के किसानों तक कृषि विश्वविद्यालय का पहुंच काफी सरल हो गया है। कृषि शोध से प्राप्त तकनीकों का किसानों तक हंस्तांतरण में केवीके की बड़ी भूमिका है। उन्होंने शोध कार्यक्रमों को बढ़ावा देने में तकनीकी सबंधी किसानों के फीडबैक से अवगत कराये जाने पर बल दिया।

संकाय के डीन ने दिये ये सुझाव

मौके पर डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव ने कृषि स्नातकों के रूरल एग्रीकल्चरल वर्क एक्सपीरियंस प्रोग्राम के ग्राम, प्रखंड एवं जिलों की गतिविधियों में निदेशालय प्रसार शिक्षा से संबद्ध करने पर जोर दिया।

डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने पशुपालन एवं पशु चिकित्सा क्षेत्र की प्रसार गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषि उद्यम को लाभकारी बनाने की दिशा में प्रत्येक केवीके में पशुचिकित्सा वैज्ञानिक के नियोजन की नितांत आवश्यकता पर बल दिया।

डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएस मल्लिक ने केवीके माध्यम से चलाये जा रहे कृषि वानिकी कार्यक्रमों  पर प्रकाश डाला तथा राज्य में वन संपदा को देखते हुए वन उत्पाद एवं औषधीय पौधों के प्रसार को बढ़ावा देने पर बल दिया।

स्वागत डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन डॉ जगरनाथ उरांव और संचालन श्रीमती शशि सिंह ने किया।

काउंसिल का तकनीकी सत्र

काउंसिल के तकनीकी सत्र में डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन डॉ जगरनाथ उरांव ने वर्ष 2020- 21 की उपलब्धि और आगामी कार्ययोजना के प्रस्तावों को रखा। देर शाम तक चली बैठक में  सभी 24 जिलों के  कृषि विज्ञान केन्द्रों ने जिलावार उपलब्धि एवं आगामी कार्यक्रमों की रणनीति को रखा। इस अवसर पर ऑनलाइन माध्यम से काउंसिल के एक्सपर्ट डॉ ए गोस्वामी (विभागाध्यक्ष, प्रसार विभाग, वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, कोलकाता) जुड़े। अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये। बैठक में बीएयू द्वारा संचालित 16 केवीके और 8 गैर बीएयू केवीके शामिल रहे। मौके पर विभिन्न विभागों के अध्यक्ष/ विभागाध्यक्ष भी मौजूद थे।