देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में भविष्य की अनुसंधान रणनीति विकसित करनी होगी : आईसीएआर डीजी

कृषि झारखंड
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  • आईआईएबी में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

रांची। आईसीएआर-इंडियन इंस्टिट्यूट एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी (आईआईएबी) द्वारा प्लांट टिश्यू कल्चर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के सौजन्य से एसोसिएशन की 42वीं वार्षिक बैठक और तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी का विषय “प्लांट बायोटेक्नोलॉजी एंड एडवांस एडिटिंग (एपीबीजीई – 2021) है। गुरुवार को इस कार्यक्रम का वर्चुअल मोड के माध्यम से मुख्य अतिथि आईसीएआर महानिदेशक डॉ टी महापात्रा ने उद्घघाटन किया।

इस अवसर पर डॉ महापात्रा ने उपज और गुणवत्ता में सुधार के आधुनिक तकनीक के प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संगोष्ठी में आईआईएबी के वैज्ञानिकों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों से कृषि और बागवानी फसलों के विशेष संदर्भ के साथ जैव प्रौद्योगिकी में हाल की प्रगति और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने का आह्वान किया। कहा कि संगोष्ठी के विचार-विमर्श से देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भविष्य के अनुसंधान के लिए रणनीति विकसित करने की दिशा में बहुत मददगार साबित होगी।

आईआईएबी निदेशक डॉ अरुणव पटनायक ने सम्मेलन में भाग ले रहे सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया जा रहा है।

संगोष्ठी के संयोजक डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि इस संगोष्ठी में भारत और विदेश से अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया सहित 450 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है। इन देशों के विशेषज्ञ जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान एवं उपलब्धियों के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करेंगे।

मौके पर प्रख्यात बायोटेक्नोलॉजिस्ट एवं पीटीसीएआई के सचिव प्रो प्रमोद टंडन ने भी प्रतिनिधियों को संबोधित किया। उन्होंने एसोसिएशन और भारत में ऊत्तक संस्कृति (टिश्यू कल्चर) और जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की दिशा में भूमिका का ऐतिहासिक जानकारी दी।

पीटीसीएआई के साथ लंबे समय से जुड़े पूर्व कुलपति (जेएनयू) प्रो सुधीर सोपोरी ने भी इस अवसर जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान में नए उपकरणों और प्रौद्योगिकियों की संभावनाओं के बारे में चर्चा की।

मौके पर आईसीएआर उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ टीआर शर्मा ने उद्घघाटन व्याख्यान में भारतीय कृषि में टिशू कल्चर व्युत्पन्न किस्मों के योगदान, जीनोमिक्स के उपयोग और अगली पीढ़ी की अनुक्रमण तकनीकों और जीनोम एडिटिंग तकनीकों के बारे में बताया। यह जानकारी आईआईएबी के वैज्ञानिक डॉ सौमेन नस्कर ने दी।