नई दिल्ली। देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। यूनेस्को ने दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को की दिल्ली की लाल किला में 10 दिसंबर, 2025 को हुई अंतर-सरकारी समिति ने इसे शामिल करने का फैसला लिया।
अब दीपावली भारत का 16वां ऐसा सांस्कृतिक ट्रेडिशन बन गया है, जिसे यूनेस्को ने विश्व स्तर पर अमूर्त सांस्कृतिक विरासत माना है।
यूनेस्को ने दीपावली का वर्णन करते हुए कहा है कि यह त्योहार ‘जीवित विरासत’ का हिस्सा है। यानी ऐसी परंपराएं, रीति-रिवाज़, अभ्यास, सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवहार जिन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों और समुदायों द्वारा संजोया, मनाया और आगे बढ़ाया जाता है।
दीपावली सिर्फ एक धर्म-अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक अभ्यास है। इसमें घरों, मोहल्लों और सार्वजनिक स्थलों की सफाई-सजावट, दीपक- जलाना, पूजा-अनुष्ठान, त्योहार की मिठाई, परिवार और समुदाय के साथ मिलना-जुलना शामिल है।
यह त्योहार “अंधकार पर प्रकाश”, “बुराई पर अच्छाई”, “असमानता पर समानता” जैसे प्रतीकों का उत्सव है। इस मान्यता का उद्देश्य सिर्फ उत्सवों को दर्ज करना नहीं, बल्कि इन्हें संरक्षण देना और विश्व भर में इनके महत्व को समझना है, ताकि ये परंपराएं आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहें।
यूनेस्को की यह मान्यता दीपावली को सिर्फ भारत तक सीमित उत्सव से बदलकर एक “वैश्विक सांस्कृतिक प्रतीक” बनाती है। यानी दुनिया भर में रह रहे भारतीयों और विदेशियों के लिए, दीपावली अब एक साझा सांस्कृतिक विरासत बन गई है।
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