झारखंड की कक्षाओं में ‘पलाश’ से जनजातीय भाषा शिक्षण को मिली मजबूती

झारखंड
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रांची। लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन (एलएलएफ) ने झारखंड सरकार की साझेदारी में 2024 में शुरू किए गए ‘पलाश’ बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से समावेशी शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

रांची से 2025 शुरू हुई इस पहल ने राज्य के आठ जनजातीय-बहुल ज़िलों में शुरुआती कक्षाओं के शिक्षण को मजबूती प्रदान की है। यह कार्यक्रम बच्चों की घर की भाषाओं को कक्षा शिक्षण में एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य सीखने के परिणामों में सुधार करना और उनकी सांस्कृतिक पहचान की भावना को बढ़ावा देना है।

यह कार्यक्रम दो मॉडलों के माध्यम से संचालित होता है। चार प्रदर्शन ज़िलों में एलएलएफ के पूर्ण समर्थन के साथ।और चार तकनीकी ज़िलों में शिक्षकों, क्लस्टर रिसोर्स पर्सन और ब्लॉक रिसोर्स पर्सन के क्षमता-निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

कार्यक्रम के लॉन्च से पहले एक व्यापक भाषाई सर्वेक्षण और बेसलाइन मूल्यांकन किया गया था, जिससे जनजातीय छात्रों की विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अनुरूप हस्तक्षेप संभव हो सका।

पिछले एक साल में एलएलएफ ने 1,000 से अधिक शिक्षकों और 400 क्लस्टर रिसोर्स पर्सन और ब्लॉक रिसोर्स पर्सन को प्रशिक्षित किया, जिन्होंने ज़िला-स्तरीय प्रशिक्षण और मेंटरिंग का नेतृत्व करने के लिए ‘स्टेट रिसोर्स ग्रुप’ बनाए।

संथाली, हो, मुंडारी, कुडुख, और खड़िया इन पांच जनजातीय भाषाओं में सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक शिक्षण सामग्री और द्विभाषी पाठ्यपुस्तकें विकसित की गईं, जिससे छात्रों की भाषाई पृष्ठभूमि के साथ पहुंच और जुड़ाव सुनिश्चित हुआ।

लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन की राज्य प्रबंधक, पल्लवी शाह ने कहा कि  पिछले एक साल में, लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन की बहुभाषी शिक्षा पहल के तहत पलाश कार्यक्रम ने झारखंड में समुदाय, शिक्षक और स्कूल स्तर पर उल्लेखनीय बदलाव किए हैं।

स्कूल और स्थानीय समुदायों के बीच का अंतर कम हुआ है। समुदाय अब जिम्मेदारी ले रहे हैं। वे अपने बजट से शिक्षक दिवस समारोह और रात्रि चौपाल कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

स्थानीय भाषाओं में शिक्षण ने शिक्षकों और बच्चों के बीच के बंधन को मजबूत किया है, जिससे सीखने का एक आनंदमय माहौल बना है। परिणामस्वरूप, बच्चों की स्कूल में रुचि और ठहराव दर में वृद्धि हुई है, जो ज़मीनी स्तर की शिक्षा में एक वास्तविक परिवर्तन को चिह्नित करता है।

कार्यक्रम ने मजबूत शैक्षणिक सहायता प्रणालियों को भी लागू किया है। नियमित स्कूल विजिट, कक्षा प्रदर्शन, और ब्लॉक-स्तरीय बैठकें साथियों से सीखने और निरंतर फीडबैक की सुविधा प्रदान करती हैं, जबकि ‘पलाश डैशबोर्ड’ छात्रों की प्रगति की वास्तविक समय में निगरानी की अनुमति देता है।

पहले वर्ष में, ग्रेड 1 और 2 के 22,600 से अधिक बच्चों तक पहुंच बनाई गई, जिनमें से 84 प्रतिशत ने आवधिक आकलन में भाग लिया। इनमें से 76 प्रतिशत ने मौखिक भाषा में दक्षता प्रदर्शित की, और 46  प्रतिशत ने पढ़ने और लिखने के अभ्यास में 50 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए।

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