रांची के इन चार रेलवे स्टेशन परिसर के 300 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू, जानें ये बड़ी वजह

झारखंड
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रांची। बड़ी खबर आई है। कल (20 सितंबर 2025) कुड़मी आंदोलन को लेकर रांची जिले के मुरी, सिल्ली, खलारी एवं टाटीसिल्वे रेलवे स्टेशन परिसर के 300 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू की गयी है।

आज (शुक्रवार 19 सितंबर 2025 ) रात 8 बजे से 21 सितंबर 2025 की सुबह 8 बजे तक निषेधाज्ञा प्रभावी रहेगी। रांची जिला प्रशासन ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा है कि कुड़मी समाज की केंद्रीय कमेटी एवं कतिपय संगठनों एवं दलों द्वारा कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर 20 सितंबर 2025 को विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर रेल परिचालन बाधित किए जाने की सूचना है। इसे देखते हुए निषेधाज्ञा लागू की गयी है।

मुरी, सिल्ली, खलारी एवं टाटीसिल्वे रेलवे स्टेशन पर विधि व्यवस्था एवं यातायात व्यवस्था भंग होने की आशंका को देखते हुए रांची के सदर अनुमंडल दंडाधिकारी द्वारा बीएनएसएस की धारा-163 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुरी, सिल्ली, खलारी एवं टाटासिल्वे रेलवे स्टेशन परिसर के 300 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू की गयी है।

जानें निषेधाज्ञा में किन चीजों पर रहेगी रोक

  • पांच या पांच से अधिक लोगों का एक जगह जमा होना (सरकारी कार्य में लगे पदाधिकारियों/कर्मचारियों एवं न्यायालय कार्य एवं धार्मिक तथा अंत्येष्टि कार्यक्रम को छोड़कर)।
  • किसी प्रकार का अस्त्र-शस्त्र, जैसे बंदूक, राइफल, रिवॉल्वर, बम, बारूद आदि लेकर चलना (सरकारी कार्य में लगे पदाधिकारियों/कर्मचारियों को छोड़कर)।
  • किसी प्रकार का हरवे हथियार जैसे-लाठी-डंडा, तीर-धनुष, गड़ासा भाला आदि लेकर चलना (सरकारी कार्य में लगे पदाधिकारियों / कर्मचारियों को छोड़कर)।
  • किसी प्रकार का धरना प्रदर्शन, घेराव, जुलूस, रैली या आमसभा का आयोजन करना।
  • किसी प्रकार का ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करना (सरकारी कार्य में लगे पदाधिकारियों/कर्मचारियों को छोड़कर)।

कुड़मी समाज ने 20 सितंबर से अनिश्चितकालीन ‘रेल टेका डहर छेका’ आंदोलन की घोषणा की है। यह आंदोलन झारखंड, बंगाल और ओड़िशा तीनों राज्यों में एक साथ चलाया जाएगा। आंदोलन के कारण रेल यातायात प्रभावित रह सकता है। सभी प्रमुख स्टेशनों पर अतिरिक्त बल की तैनाती की जाएगी।

इधर, कुड़मी समाज के वरीय केंद्रीय उपाध्यक्ष छोटेलाल महतो ने दावा किया है कि 1931 की जनगणना में कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल किया गया था, लेकिन 1950 में जो नयी सूची तैयार की गयी उसमें बाकी जनजातियों के नाम बने रहे, सिर्फ कुड़मी समाज का नाम हटा दिया गया। कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग को आंदोलन की घोषणा की गयी है।

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