- बीएयू में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
रांची। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईएसएआरसी) ने भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के साथ साझेदारी में बायोटेक किसान हब के तहत बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), रांची में क्षमता आवश्यकता मूल्यांकन (सीएनए) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। यह पहल आईआरआरआई-डीबीटी सहयोगी परियोजना खाद्य सुरक्षा और आय में वृद्धि के लिए कृषि में तकनीकी नवाचार का हिस्सा है। इसका उद्देश्य महिला किसानों और वैज्ञानिकों को चावल आधारित कृषि-खाद्य प्रणालियों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करना है।
यह परियोजना झारखंड सहित भारत के सात प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में फैली हुई है। कार्यशाला का उद्देश्य कृषि में महिलाओं के लिए प्रशिक्षण जरूरतों का आकलन करना, चावल आधारित कृषि प्रणालियों, मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण में तकनीकी प्रगति और उद्यमशीलता के अवसरों को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम का उद्घाटन बीएयू के कुलपति डॉ. एस.सी. दुबे ने किया, जिन्होंने लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से महिला किसानों को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आगामी प्रशिक्षण में बीज चयन, कृषि तकनीक, मिट्टी और पोषक तत्व प्रबंधन, कटाई, कटाई के बाद प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से बाजार संपर्क विकास सहित आवश्यक कृषि पद्धतियों को शामिल किया जाएगा।
बीएयू के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. जे. उरांव और अनुसंधान निदेशक डॉ. पी.के. सिंह शामिल थे। उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत किया। बीएयू में चावल पर धान व दलहन अनुसंधान परियोजना की प्रभारी डॉ. नूतन वर्मा ने पूरे कार्यक्रम का समन्वय किया।
आईएसएआरसी में क्षमता विकास विशेषज्ञ और परियोजना की प्रमुख अन्वेषक डॉ. रीति चटर्जी ने सूक्ष्म-उद्यमी अवसरों के निर्माण में सुगंधित चावल जैसी स्थानीय विरासत फसलों की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने नवाचार और सतत कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए महिला किसानों और वैज्ञानिकों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला में दुमका, धनबाद, कांके और जामताड़ा की 20 महिला किसानों और केवीके प्रमुखों ने समूह चर्चा, एसडब्ल्यूओटी विश्लेषण, क्षमता आवश्यकताओं का आकलन और प्रशिक्षण आवश्यकताओं की सहभागितापूर्ण प्राथमिकता सहित संवादात्मक गतिविधियों में भाग लिया। इन सत्रों ने क्षमता निर्माण प्रयासों के लिए आवश्यक प्रमुख क्षेत्रों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की।
कार्यशाला का समापन कृषि में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने, टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने और झारखंड की चावल आधारित कृषि-खाद्य प्रणालियों में दीर्घकालिक विकास के लिए नवाचार को बढ़ावा देने के साझा दृष्टिकोण के साथ हुआ।
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