जीडी गोयनका विद्यालय में कलारीपायट्टू मार्शल आर्ट में शक्ति प्रदर्शन

झारखंड
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रांची। मां दुर्गा के पूजन के अवसर पर जीडी गोयनका विद्यालय के प्रांगण में 8 अक्‍टूबर को स्पीक मैक ने कलारीपायट्टू मार्शल आर्ट में शक्ति प्रदर्शन किया। स्पीक मैके का उद्देश्य भारतीय संस्कृतिक विरासत की विभिन्न पहलुओं के बारे में युवाओं में जागरुकता लाकर इसमें निहित मूल्यों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करना है।

समस्त मार्शल आर्ट की जननी कलारीपायट्टू भारत की एक प्राचीन युद्ध कला है। इसकी उत्पत्ति 11वीं-12वीं शताब्दी के दौरान केरल में मानी जाती है। आज प्रदर्शनकर्ताओं ने कलारीपयट्टू के प्रदर्शन में विभिन्न युद्ध कला, मल्लक्रीडा और अनेकों एनिमल पोस्चर्स के द्वारा युद्ध कला दिखाया गया। कलारीपयट्टू में हमले, पैरों से मारना, मल्लयुद्ध, पूर्व निर्धारित तरीके, हथियारों के जखीरें शामिल थे। समस्त प्रदर्शनकर्ता पूर्ण रूप से प्रशिक्षित अनुशासित एकाग्र और स्फूर्तीयुक्त थे। उनकी प्रदर्शनी देखकर सभी अभिभावक, छात्र प्रसन्न हुए।

इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार ने कहा कि इन कलाओं को सीखने से छात्रों के अंदर एकाग्रता बढ़ती है। अपने प्रतिद्वंदी के साथ कैसा व्यवहार करना है, इसका भी ज्ञान होता है।

विद्यालय के वाइस चेयरमैन अमन सिंह ने कहा कि कलारीपयट्टू का शिक्षण  छात्रों के जीवन में ऊर्जा का संचार करता है। उन्हें अटैक के साथ-साथ डिफेंस भी सीखता है। छात्रों में आलस को खत्म करके शरीर लचीला और मजबूत भी बनता है। इस कला का ज्ञान छात्र जीवन में अत्यंत आवश्यक है।

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