महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का माध्यम बन रहा एलोवेरा

कृषि झारखंड
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  • हर आंगन और खेत में हो रही एलोवेरा की खेती
  • महिलाएं सहेज रहीं पौधे, बेहतर हो रहा है जीवन
  • बिरसा कृषि विवि के सहयोग से हुआ है परिवर्तन

रांची। झारखंड की राजधानी रांची के नगड़ी प्रखंड में स्थित है देवरी गांव। अब इस गांव को लोग ‘एलोवेरा विलेज’ के नाम से जानते हैं। यहां हर आंगन और खेत में एलोवेरा पनप रहा है। यह गांव की महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन का माध्यम बन रहा है। मंजू कच्छप, मुन्नी दीदी, रेणु समेत दर्जनों महिलाएं एलोवेरा के नन्हें पौधों को सींच खुद के स्वावलंबन की वाहक बन रही हैं। मंजू कहती है कि एलोवेरा ने पूरे राज्य में हमारे गांव का मान बढ़ाया है। अब इस गांव को लोग एलोवेरा विलेज के नाम से जानते हैं, जो हमें गौरवांवित करता है। हम पूरी मेहनत से राष्ट्रीय स्तर पर अपने गांव का नाम रोशन करेंगे।

एलोवेरा जेल बनाने में जुटीं महिलाएं

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से एलोवेरा विलेज में उगाये जा रहे एलोवेरा की मांग पूरे राज्य में है। महिलाएं 35 रुपये किलो के हिसाब से इसके पत्ते बेच रही हैं। मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हो पा रही। यही वजह है कि अन्य खेतिहर परिवार भी एलोवेरा की खेती में आगे आ रहे हैं। मंजू ने बताया कि एलोवेरा जेल की मांग इन दिनों बढ़ी है। हमें जेल निकालने की मशीन सरकार जल्द उपलब्ध करा रही है। इसके बाद पत्तों के साथ-साथ हम जेल भी तैयार करेंगे। इसके लिए उत्पादक समूह बनाने की योजना है।

ना सिंचाई का झंझट और ना ही लागत

महिलाओं ने बताया कि अत्यधिक धूप की वजह से सिंचाई की जरूरत पड़ती है। इसका पौधा लगाने में भी किसी प्रकार का खर्च नहीं होता। पौधा से दूसरा पौधा तैयार होता है, जिसमें किसी प्रकार का निवेश नहीं होता। बाजार भी उपलब्ध है। ऐसे में और क्या चाहिए। इन्हीं पौधों से अन्य खेतों में भी रोपण कार्य हुआ है, जिसका सुखद परिणाम कुछ माह बाद देखने को मिलेगा। राज्य सरकार का साथ यूं ही मिलता रहा तो वृहद पैमाने पर खेती करने से महिलाएं पीछे नहीं हटेंगी।