रांची। सीसीपीए और एएससीआई ने भारत में विज्ञापनों के नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए साझेदारी की है। इस कदम से भ्रामक और झूठे विज्ञापनों पर रोक लगने और विज्ञापनों के नियम लागू करने में मदद मिलने की उम्मीद है। उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए) और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) दोनों उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के समान लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम करते हैं। एएससीआई और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) दोनों के मिशन का केंद्रीय तत्व भ्रम फैलाने वाले, गुमराह करने वाले और झूठे दावे करने वाले विज्ञापनों के मामले में उपभोक्ता के हितों का संरक्षण करना है।
गौरतलब है कि विज्ञापन के क्षेत्र में एएससीआई के कोड और उससे जुड़े दिशानिर्देश केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की कई गाइडलाइंस से तालमेल रखते हैं। इसमें गुमराह करने वाले विज्ञापनों, डार्क पैटर्न, विज्ञापनों के प्रसार में शामिल सेलिब्रिटीज, कोचिंग संस्थाओं, किसी प्रॉडक्ट के इस्तेमाल से स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा मिलने के झूठे दावे और अन्य मामलों से संबंधित दिशा-निर्देश शामिल हैं।
एएससीआई और सीसीपीए की भागीदारी में सीसीपीए ने यह पहचान की है कि एएससीआई की किसी संहिता का उल्लंघन संभावित रूप से उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 और उससे संबंधित दिशानिर्देशों का उल्लंघन भी हो सकता है। इसलिए सीसीपीए ने एएससीआई से किसी भी ऐसे गुमराह करने वाले विज्ञापनों को उचित कार्रवाई के लिए उसके पास आगे भेजने का अनुरोध किया है, जो एएससीआई के कोड का पालन नहीं करते और इनसे संभावित रूप से उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 और उससे संबंधित गाइडलाइंस का उल्लंघन हो सकता है।
एएससीआई की ओर से उठाए गए झूठे दावे करने वाले विज्ञापनों पर सीसीपीए द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों के अनुसार सख्ती से प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। विज्ञापनों के क्षेत्र में, खासतौर से डिजिटल विज्ञापनों की बढ़ती जटिलता के बीच यह भागीदारी काफी महत्वपूर्ण हो गई है।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि एएससीआई कोड और सीसीपीए की गाइडलाइंस विज्ञापनों में तालमेल पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के सामूहिक प्रयास को उभारती है। सीसीपीए और एएससीआई समान लक्ष्यों के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए पूरक तरीकों से काम कर सकते हैं कि किसी भी तरह के उल्लंघन से प्रभावी तरीके से सख्ती से निपटा जाए।
डिजिटल विज्ञापनों से नई चुनौतियां सामने आई हैं। डिजिटल विज्ञापन की रफ्तार से तालमेल रखने के लिए समान विचारधारा वाले निकायों के बीच सहयोग की जरूरत है। इस क्षेत्र में नियामकों का स्वनियामकों के साथ मिलकर काम करना एक बेहतरीन तरीका है, जो अब स्थापित हो चुका है।
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