नई दिल्ली। केंद्रीय कोयला, खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा है कि वर्ष 2025 तक बिजली क्षेत्र के लिए कोयला आयात घटकर केवल 2 प्रतिशत रह जाएगा, क्योंकि घरेलू कोयला उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इस साल कोयला उत्पादन 1 बिलियन टन से अधिक होने की आशा है। भारत का कोयला क्षेत्र देश की ऊर्जा सुरक्षा में लगातार योगदान दे रहा है। इससे हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है। वे वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 9वें दौर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
जोशी ने कहा कि भारत द्वारा अपनाई जा रही सतत कोयला खनन प्रथाओं के कारण देश उत्सर्जन नियंत्रित करने में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है। कोयला गैसीफिकेशन के लिए 6000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है। खनन क्षेत्र को अधिक मजबूत करने के लिए कोयला सार्वजनिक उपक्रमों ने हाल के वर्षों में 100 मिलियन पौधे लगाए हैं।
वाणिज्यिक कोयला खदान नीलामी के 9वें दौर के अंतर्गत 26 और 7वें दौर के दूसरे प्रयास के तहत 5 सहित कुल 31 कोयला खदानें पेश की गई हैं। नीलाम की जा रही खदानें कोयला/लिग्नाइट वाले राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में फैली हुई हैं।
भारत का कुल कोयला भंडार 344.02 बिलियन टन है। यह दुनिया में कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में पिछले कुछ वर्षों में बिजली की मांग में लगातार वृद्धि देखी गई है। यह देखते हुए कि भारत में 72 प्रतिशत बिजली कोयले से उत्पन्न होती है। यह देश के विकास के लिए रणनीतिक क्षेत्र बन जाता है।
वाणिज्यिक कोयला खनन से देश में नए निवेश आने और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से रोजगार सृजन की उम्मीद है। नीलामी से प्राप्त संपूर्ण राजस्व कोयला धारक राज्य सरकारों को आवंटित किया जाएगा। इससे झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, बिहार और असम को सामाजिक-आर्थिक लाभ होगा।
अब तक नीलाम की गई खदानों से कोयला खनन से सालाना 33,343 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। ये खदानें जब पूरी तरह से चालू हो जाएंगी, तब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 3 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेंगी। इन कोयला खदानों को चालू करने के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा।
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