पाकिस्तान में भारत के एक और दुश्मन लश्कर ए-तैयबा कमांडर अकरम गाजी की हत्या

नई दिल्ली देश
Spread the love

नई दिल्ली। हाल के दिनों में भारत के कई दुश्मनों की विदेशों में हत्या कर दी गई। ताजा मामला पाकिस्तान का है। पाकिस्तान में भारत के एक दुश्मन, लश्कर ए-तैयबा के पूर्व कमांडर अकरम खान, जिसे अकरम गाजी भी कहा जाता था, की गोली मारकर हत्या कर दी गई है।

अकरम ने 2018 से 2020 तक लश्कर में भर्ती का कार्य किया था और भारत के खिलाफ जहर भी उगलता था। उसकी मौत बाजौर में अज्ञात हमलावरों द्वारा कथित तौर पर गोली मारकर की गई है। अकरम लश्कर के टॉप कमांडर्स में से एक था और लंबे समय तक आतंकी गतिविधियों में शामिल भी रहा।

पाकिस्तान में आतंकियों की हत्याओं का यह पहला मामला नहीं है, जब पाकिस्तान में आतंकियों को निशाना बनाया गया है। पहले भी मुफ्ती कैसर फारूक, खालिस्तानी आतंकी परमजीत सिंह पंजवड़, एजाज अहमद अहंगर, बशीर अहमद पीर, शाहिद लतीफ, और सैयद खालिद रजा जैसे आतंकियों को अज्ञात हमलावरों ने मार गिराया था। ये हमले आतंकियों की नींद को उड़ा रहे हैं और पाकिस्तान में उनकी गिरफ्तारी के प्रति प्रयास को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

इस साल के दौरान, भारत के एक और मोस्ट वांटेड आतंकी शाहिद लतीफ की हत्या कर दी गई थी। उसे सियालकोट में गोली मारकर मार डाला गया था। लतीफ 2016 में पठान कोट एयर फोर्स स्टेशन पर हुए हमले का मास्टरमाइंड था।

उसकी मौत से पहले, एजाज अहमद अहंगर और सैयद खालिद रजा भी आतंकी हमलों में शामिल थे और उन्होंने भी अज्ञात हमलावरों के हत्या का शिकार बना।

सैयद नूर शालोबर, भारत की वांछित आतंकवादी सूची में शामिल था, को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा इलाके में अज्ञात बंदूकधारियों ने मार डाला था। उसने कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए सेना और खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर काम किया था और नए आतंकियों की फौज को ट्रेंड किया था।

इसके साथ ही, अज्ञात हमलावरों ने मुजफ्फराबाद से 130 किलोमीटर दूर रावलकोट की एक मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान आतंकी मोहम्मद रियाज की हत्या कर दी थी। रियाज ने आतंकी गतिविधियों में शामिल रहकर भारत सरकार के खिलाफ रेडियो पाकिस्तान पर देशद्रोही और अलगाववादी कार्यक्रम प्रसारित किए थे और उसने ड्रग्स की तस्करी में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी।

इस तरह की हत्याएं आतंकी गतिविधियों के खिलाफ सख्त सेना की भावनाओं को प्रकट करती हैं और सुरक्षा बढ़ाने का कारण बन रही हैं। इन हत्याओं से प्रभावित राष्ट्रों के बीच सहयोग और सुरक्षा संबंधों में और भी मजबूती पैदा हो सकती है।