नई दिल्ली। गुरुवार को ज्ञानवापी सर्वे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति आज (3 अगस्त) सुप्रीम कोर्ट पहुंची। वकील निजाम पाशा ने एएसआई के सर्वे को रोकने की मांग चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखी।
उन्होंने कहा कि हमने तत्काल विचार के लिए ईमेल भी भेजा है। जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस पर विचार करके जल्द आदेश देंगे। वहीं, दूसरी तरफ हिंदू पक्ष की तरफ से याचिकाकर्ता राखी सिंह ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया है।
निचली अदालत की याचिकाकर्ता राखी सिंह ने पक्ष सुने बिना मुस्लिम पक्ष की अपील पर कोई आदेश न देने की मांग की है। गुरुवार को ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे को सही ठहराया।
ज्ञानवापी के ASI सर्वे पर HC के आदेश के मद्देनजर यह जानकारी अहम है कि कल SC में मुस्लिम पक्ष की एक याचिका सुनवाई के लिए लगी है। यह वह याचिका है, जिसमें हिंदू श्रद्धालु महिलाओं के आवेदन को सुनवाई योग्य ठहराने का विरोध किया गया है। ऐसे में शुक्रवार (4 अगस्त) को भी हाई कोर्ट के नए आदेश का मसला भी उठ सकता है।
इधर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि एएसआई सर्वे से इमारत को कोई नुकसान नहीं होगा। न्याय हित में सर्वे कराया जाना जरूरी है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सर्वे पर लगी रोक हट गई है और अब कभी भी ज्ञानवापी का सर्वे शुरू किया जा सकता है।
वाराणसी जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने 21 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। निचली अदालत ने सर्वे का आदेश दिया था। इससे अब हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है।
दरअसल, जब भी किसी को यह डर रहता है कि कोई उसके खिलाफ कोर्ट में मामला दायर करने जा रहा है तो वह पहले ही इसे लेकर कैविएट पिटीशन डाल सकता है। ताकि उसकी बात को भी सुना जाए। ऐसे ही हिंदू पक्ष ने भी सुप्रीम कोर्ट में यह पिटीशन दाखिल की है।