बेंगलुरु। बेंगलुरु में महाबैठक के दूसरे दिन बिहार के सीएम नीतीश के खिलाफ पोस्टर लगे हैं। आइए जानते हैं कि पूरा मामला। बेंगलुरु में हो रहे विपक्षी दलों की बैठक में यूपीए की तरह ही सोनिया गांधी को विपक्षी गठबंधन का प्रमुख बनाया जा सकता है। इसके अलावा नीतीश कुमार को उपकप्तान बनाया जा सकता है।
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्ष एक मजबूत गठबंधन बनाना चाहता है। इसके लिए आज कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक हो रही है। बैठक के दूसरे दिन से पहले बेंगलुरु में कई जगहों पर नीतीश कुमार के पोस्टर सामने आए हैं। इन पोस्टरों में उन्हें अस्थायी प्रधानमंत्री उम्मीदवार बताया गया है। पुलिस ने बाद में चालुक्य सर्कल से इन पोस्टरों को हटा दिया।
शहर में लगे पोस्टर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अस्थायी प्रधानमंत्री उम्मीदवार बताया गया है। साथ ही बिहार के सुल्तानगंज पुल का जिक्र किया गया है जो कि दो बार ढह चुका है। इसमें लिखा गया है कि अप्रैल 2022 और जून 2023 में पुल ढह गया। पोस्टर पर किसी पार्टी या फिर राजनेता ने अपना नाम नहीं लिखा है।
इस बैठक में यह भी फैसला होना है कि अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक नीतीश कुमार की ही पहल पर हुई थी। इसके अलावा नीतीश कुमार ने विपक्ष को साथ लाने के लिए कई नेताओं से मुलाकात भी की थी।
भाजपा ओबीसी कार्ड खेलने से नहीं चूक रही है। ऐसे में इसकी काट निकालने के लिए भी नीतीश कुमार एक चारा हैं। उनकी बड़े ओबीसी नेता के तौर पर पहचान है।
पटना के बाद अब बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक हो रही है। कयास लगाया जा रहा है कि इस महाजुटान में यूपीए की तरह ही सोनिया गांधी को विपक्षी गठबंधन का प्रमुख बनाया जा सकता है।
इसके अलावा नीतीश कुमार को उपकप्तान बनाया जा सकता है। इससे पहले नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर चर्चा कई बार चल चुकी है। हालांकि नीतीश कुमार अब तक इस बात से इंकार करते रहे हैं।