नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों में बदलाव किया गया है। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय यानी ED जीएसटी नेटवर्क से साथ जानकारी साझा कर सकेगा। इससे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए जीएसटी चोरी करने वालों से टैक्स की रिकवरी करने में मदद मिलेगी।
जीएसटी नेटवर्क (GSTN) इनडायरेक्ट टैक्स रिजीम की टेक्नोलॉजी को हैंडल करता है और यह जीएसटी से जुड़ी सभी जानकारियां जैसे रिटर्न, टैक्स फाइलिंग और अन्य अनुपालन समेत सभी की रिपोजिटरी के रूप में कार्य करता है।
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट या पीएमएलए एक्ट 2002 में किए गए बदलाव के तहत अब जीएसटीएन को उन संस्थाओं की लिस्ट में जोड़ा गया है, जिनके साथ ईडी अपनी जानकारी शेयर कर सकता है।
जीएसटीएन को पीएमएलए एक्ट के तहत लाने से बड़ी टैक्स चोरी करने वालों पर नकेल कस सकेगी और अधिक लोग टैक्स चुकाएंगे। साथ ही जीएसटीएन ऐसे लोगों की टैक्स चोरी की सूचना आसानी से ईडी को दे पाएगा और टैक्स रिकवरी में भी तेजी आएगी।
आपको बता दें कि सरकार जीएसटी चोरी करने पर लगातार सख्त कदम उठा रही है। इसके लिए जरूरत पड़ने पर नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है, जिससे सरकार अपने राजस्व को बढ़ा सके।
पिछले साल नवंबर में सरकार की ओर से ईडी को आर्थिक अपराधियों की जानकारी 15 अन्य सरकारी संस्थाओं के साथ शेयर करने की मंजूरी दी गई थी। इसमें SFIO,CCI और NIA का भी नाम शामिल था।
नोटिफिकेशन जारी करने के बाद अब ईडी कुल 26 सरकारी संस्थाओं के साथ जानकारियों को शेयर करेगी, जिनकी संख्या पहले 10 थी। इसमें सीबीआई, आरबीआई, आईआरडीएआई और एफआईयू का नाम है।