रांची। रबी तेलहन फसलों का रकबा, उत्पादन, उत्पादकता, गुणवत्ता एवं तेल की मात्रा बढाने के तौर-तरीकों पर विषद चर्चा के लिए देश भर के 80 से अधिक वैज्ञानिक 9 और 10 सितंबर को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में जुटेंगे। विश्वविद्यालय वार्षिक तेलहन समूह बैठक-2025 की मेजबानी कर रहा है। इसमें विशेष रूप से कुसुम एवं तीसी फसलों पर चर्चा होगी।
बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह ने बताया कि आयोजन में देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों के तेलहन वैज्ञानिकों के अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के महानिदेशक डॉ एमएल जाट, उप महानिदेशक (फसल वैज्ञानिक) डॉ डीके यादव, सहायक महानिदेशक (तेलहन एवं दलहन) डॉ संजीव गुप्त, भारतीय तेलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक डॉ आरके माथुर भी भाग लेंगे।
उदघाटन सत्र की अध्यक्षता बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे करेंगे। दो दिनों तक तकनीकी सत्रों में फसल सुधार, प्रबंधन एवं संरक्षण के विविध पहलुओं पर व्यापक चर्चा करते हुए तेलहन क्षेत्र के विकास की भावी रणनीति तैयार की जाएगी।
देश के तेलहन क्षेत्र का 72 प्रतिशत भाग वर्षा आधारित है, जहां ज्यादातर सीमांत एवं लघु किसान खेती करते हैं। वर्ष 2022-23 में झारखंड में तीसी का रकबा 47145 हेक्टेयर, उत्पादन 27656 क्विंटल और प्रति हेक्टेयर औसत उपज 591 किलो थी।
आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग की अध्यक्ष डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती और विभाग के वैज्ञानिक डॉ एनपी यादव इस राष्ट्रीय समूह बैठक के आयोजन सचिव हैं।
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