मत्स्य पालन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता गुमला

झारखंड
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  • 10-15 ग्रामीणों को मिला स्थानीय रोजगार

गणपतलाल चौरसिया

गुमला। कुछ नया करने की सोच और आत्मनिर्भर बनने के जज़्बे के साथ गुमला जिला अंतर्गत जारी प्रखंड के ग्राम भिखमपुर निवासी जोनी कुजुर ने मत्स्य पालन क्षेत्र में सफलता की नई कहानी लिखी है। वर्ष 2016 से मत्स्य पालन से जुड़े  जोनी कुजूर ने शिक्षित बेरोजगार रहते हुए मत्स्य पालन को अपनी आजीविका का मुख्य साधन बनाकर ना सिर्फ खुद को, बल्कि अपने गांव और आसपास के कई ग्रामीणों को भी आर्थिक रूप से सशक्त किया है।

पूर्व में सरकारी नौकरी की तैयारी में लगे जोनी ने गांव में अन्य मत्स्य कृषकों को मछली पालन करते देख प्रेरित होकर मत्स्य पालन को अपनाया। उन्होंने शुरुआत में प्रखंड क्षेत्र के तालाबों को लीज पर लेकर मछली पालन की शुरुआत की और इसके पश्चात् मत्स्य विभाग की सहायता से तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर इसे व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाया।

विभाग द्वारा उन्हें तीन दिवसीय मत्स्य प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया। साथ ही, 90 प्रतिशत अनुदान पर मत्स्य रपॉन, फीड और फिश कैचिंग नेट की सुविधा भी प्रदान की गई। मत्स्य पालन में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ग्रो-आउट तालाब का निर्माण अपनी निजी भूमि पर कराया।

ग्रो-आउट तालाब निर्माण की कुल ईकाई लागत ₹7.00 लाख है, जिस पर अनुसूचित जाति/जनजाति/महिला वर्ग के लाभुकों को 60% (₹4.20 लाख) और अन्य वर्ग के लाभुकों को 40% (₹2.80 लाख) तक का अनुदान देय है। इसके अतिरिक्त झारखंड सरकार द्वारा ₹1.75 लाख की स्टेट टॉप-अप राशि भी उपलब्ध कराई गई है। मत्स्य बीज एवं आहार के लिए इनपुट के लिए ₹4.00 लाख की ईकाई लागत में ₹2.40 लाख अनुदान भी शामिल है।

वर्तमान में उनके पास कुल 2.50 एकड़ में तीन तालाब हैं, जिसमें लगभग 15,000 मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन किया गया है। स्थानीय स्तर पर मत्स्य उत्पाद उपलब्ध होने से अब जिले के मत्स्य कृषकों को मछली के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता, जिससे परिवहन व्यय की बचत के साथ-साथ समय की भी बचत हो रही है।

उन्होंने ने अपने प्रयासों से 10 से 15 ग्रामीणों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराया है। उनके द्वारा उत्पादित मछली गुमला जिले के चैनपुर, डुमरी और रायडीह प्रखंड के मत्स्य कृषकों को भी उचित दर पर उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे बाहरी राज्यों से आने वाले मत्स्य विक्रेताओं की निर्भरता में भी कमी आई है।

मत्स्य विभाग द्वारा उन्हें ₹5 लाख का मछुआरा दुर्घटना बीमा भी निःशुल्क कराया गया है। विभाग की योजनाओं एवं सहयोग से प्रेरित होकर उन्होंने मत्स्य क्षेत्र को गुमला में एक संभावनाशील व्यवसाय के रूप में विकसित कर रहे हैं। मत्स्य पालन से उन्हें प्रति वर्ष ₹3-4 लाख तक का शुद्ध लाभ होने की संभावना है, जिससे वे न केवल अपने परिवार को आर्थिक रूप से सुरक्षित कर पा रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार एवं आत्मनिर्भरता की राह दिखा रहे हैं।

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