संघ ने ग्रीष्मकालीन विद्यालय वर्ग संचालन में बदलाव को बताया तुगलकी फरमान, वापस लेने की मांग

झारखंड
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रांची। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने ग्रीष्मकालीन में विद्यालय वर्ग संचालन में हुए बदलाव को वापस वापस लेने की मांग की है। संघ ने प्रदेश के प्राथमिक और मध्य विद्यालय के छात्रों के वर्ग संचालन ग्रीष्मकालीन विद्यालय संचालन के लिए प्रातः 7 बजे से अपराह्न 1 बजे के लिए किए गए समय निर्धारण पर विभाग पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने संयुक्त रूप से कहा कि‍ 1 अप्रैल से 30 जून तक ग्रीष्मकालीन के लिए प्रातः कालीन व्यवस्था के तहत विद्यालयों का संचालन 7 बजे अपराहन से 1 बजे तक करने का निर्देशित किया गया है। इसे 1 अप्रैल से ही प्रभावी किया गया है, जो ग्रीष्मकालीन प्रातः कालीन अवधारणा के प्रतिकूल और अव्यवहारिक है। छात्रों की सेहत और भविष्य के साथ खिलवाड़ है। अधिकारी एसी में बैठकर जमीनी हकीकत से रू-ब-रू नहीं है। यह तुगलकी फरमान वापस हो, नहीं तो शिक्षक गोलबंद होकर आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। इसकी सारी जिम्मेवारी अधिकारियों पर होगी।

संघ के पदधारियों ने कहा कि ग्रीष्मकाल में दोपहर 12 बजे से 1 से 2 के मध्य का समय ही सर्वाधिक तपिश वाला होता है। ऐसे में 5 से 14 वर्ष के छोटे-छोटे बच्चों को 12 बजे दिन के बाद विद्यालय में बनाए रखना छात्रों के स्वास्थ्य हित में नहीं प्रतीत होता है। यह भी ध्यानगत रखना उचित होगा कि‍ उच्च प्राथमिक कक्षा के बच्चे 4 से 5 किलोमीटर की दूरी तय कर विद्यालय आते जाते हैं। उनके लिए दोपहर के बाद तपिश भरी गर्मी में घर के लिए प्रस्थान करना स्वास्थ हित में नहीं कहा जा सकता है।

प्रातः कालीन विद्यालय संचालन का उद्देश्य बच्चों को लू व तपिश भरी गर्मी से हिफाजत करना होता है, जो वर्तमान निर्धारित समय प्रातः 7 से 1 तक से खंडित होता है। दोपहर 12 बजे के बाद के समय को प्रातः काल का अंत मानना भौगोलिक सिद्धांतों के भी अनुकूल प्रतीत नहीं होता।

संघ ने मांग की है कि‍ विषय अधीन पत्र द्वारा निर्धारित प्रातः कालीन विद्यालय संचालन अवधि पर पुनर्विचार कि‍या जाए। इसे पूर्व की तरह 6.30 से 11:.30 तक वर्ग संचालन मान्य करने की आदेश दिया जाए, ताकि बच्चे 12 बजे तक अपने अपने घर को पहुंच सके। यथासंभव लू और तपिश की भयावह से बच सकें।