
- अफीम व पोस्ता के उत्पादन पर हो सकती है सजा : राजेश कुमार सिन्हा
रांची। झालसा के निर्देश और न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष, डालसा के मार्गदर्शन में 29 जुलाई, 2025 को निर्मला कॉलेज में ‘डॉन अभियान’ के तहत नशा मुक्ति पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा, एलएडीसीएस डिप्टी चीफ राजेश कुमार सिन्हा और एनसीबी के आनंद, सीआईडी के एसआई रिजवान अंसारी निरमला कॉलेज के शिक्षकगण समेत अन्य उपस्थित थे।
एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने भारतीय संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य को निर्देशित करता है कि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पेय और नशीली दवाओं के सेवन को औषधीय उद्देश्यों को छोड़कर, समाप्त करने का प्रयास करेगा। अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्ज़े पर एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत मात्रा के आधार पर 20 साल तक के कठोर कारावास एवं 2 लाख रूप्ये के जुर्माने की सजा हो सकती है। बार-बार अपराध करने पर मृत्युदंड तक दिया जा सकता है।
श्री सिन्हा ने ने सजा के प्रावधान के बारे में भी बताया। उन पदार्थों के बारे में बताया जिसकी तस्करी करने, एक जगह से दूसरी जगह ले जाने एवं किसी व्यक्ति के पास पाये जाने पर वह एनडीपीएस कानून के तहत सजा के भागी होंगे। उन मादक पदार्थों के बारे में भी जानकारी दी और मादक पदार्थों की मात्रा पर सजा का निर्धारण को विस्तार से बताया।
अतुल गेरा ने बताया कि नशा हमारे देश को कैसे खोखला कर रहा है। नशा से बचने के लिए छात्र-छात्राओं को जागरूक करना अति आवश्यक है। नशा के पेडलर नवयुवक एवं छात्रों को इस व्यवसाय में आसानी से उपयोग करते है, जिससे हमलोगों को सचेत रहना है। किसी भी तरह का ड्रग्स पेडलरों के द्वारा दिये जा रहे लालच में न आये।
एनसीबी के आनंद ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुंचता है।
आनंद ने कहा कि अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते। गृह मंत्रालय ने मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी देने के लिए मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) स्थापित की है।
सीआईडी के रिजवान अंसारी ने मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित जानकारी प्रदान की। मादक पदार्थों की तस्करी में बच्चों और नवयुवकों को कैसे उपयोग में लिया जा रहा है, इससे बचने के लिए उन्होंने छात्रों को बतालाया।
आगे उन्होंने कहा कि कैसे साधारण खांसी की सिरप जैसी चीज़ों का नशे के लिए उपयोग किया जाता है। झारखंड राज्य न केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है।
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