
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुद्वारा संपत्ति पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया। दिल्ली वक्फ बोर्ड का कहना था कि यह जमीन वक्फ की संपत्ति थी, लेकिन अब वहां ‘किसी तरह का गुरुद्वारा’ बना दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 जून 2025 को दिल्ली के शाहदरा स्थित एक गुरुद्वारे पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के स्वामित्व के दावे को खारिज कर दिया है। इस निर्णय ने एक लंबे समय से चल रहे 50 वर्षीय कानूनी विवाद को समाप्त क दिया।
वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि यह संपत्ति ‘वक्फ बाय यूज़र’ के तहत मुस्लिम धार्मिक उपयोग में रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह गुरुद्वारा 1947 से अस्तित्व में है। इस पर वक्फ का कोई वैध दावा नहीं बनता।
इस निर्णय का व्यापक प्रभाव हो सकता है, विशेष रूप से उन मामलों में जहां वक्फ बोर्ड ‘वक्फ बाय यूज़र’ के आधार पर संपत्तियों पर दावा करता है। वर्तमान में, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत ‘वक्फ बाय यूज़र’ की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है। अब वक्फ संपत्तियों के लिए दस्तावेजी प्रमाण आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था, चाहे वह वक्फ बोर्ड ही क्यों न हो, सरकारी भूमि पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती, भले ही वह भूमि धार्मिक या परोपकारी उपयोग में रही हो।
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