
- श्री सहज पाठ साहिब के तीन पाठों की समाप्ति हुई
रांची। गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा में सिख पंथ के तीसरे गुरु श्री अमर दास जी का 546वां प्रकाश पर्व मनाया गया। इस उपलक्ष्य में 11 मई को सजाए गए विशेष दीवान की शुरुआत हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह के आसा दी वार कीर्तन से हुई।
तत्पश्चात गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह ने कथावाचन के माध्यम से गुर इतिहास सुनाते हुए उपस्थित साध संगत को बताया कि आज गुरु अमरदास जी का 546 वां प्रकाश पर्व दिवस है। गुरु अमर दास जी ने 62 साल की उम्र में गुरु अंगद देव जी के दर्शन किए। अगले बारह साल तक गुरु महाराज जी की नि:स्वार्थ सेवा की और लगातार रोजाना व्यास दरिया से गागर में जल ले आकर गुरु अंगद देव जी महाराज को स्नान कराते थे।
गुरु अंगद देव जी ने उनकी सेवा भावना से प्रसन्न होकर हर वर्ष एक सरोपा भेंट किया। उन्हें बारह वर ‘निमाणियां दा माण, निताणियां दा ताण, निओटेयां दी ओट, निथावन दे थांव, निआसरिआं दा आसरा, निधरीआं दी धर, निधीरन के धीर, पीरन के पीर, दईआल गई बहोड़, जगत बंदी छोड़, भनण घड़ण समरथ, सब जीवका जिस हथ’ दिए और योग्य जानकर सिखों का तीसरा गुरु घोषित किया।
गुरु अमर दास जी ने लंगर में पंगत की प्रथा की शुरुआत की, जिसमें कोई भी जाति के लोग ऊंच-नीच का भेद मिटाकर एक कतार में बैठकर लंगर छकते हैं। वे पहले समाज सुधारक थे, जिन्होंने सती प्रथा का खुलकर विरोध किया। अपने शबद सुही दी वार में इसका विरोध किया। गुरु अमरदास जी ने कुओं, गुरुद्वारों और समुदाय के लिए स्थानों के निर्माण के लिए धन जुटाने के लिए एक प्रथा शुरू की, जिसमें प्रत्येक सिख को अपनी आय का दसवां हिस्सा धर्मार्थ कार्यों के लिए दसवंध के रूप में दान करने के लिए कहा गया है।
सुबह 9.20 बजे से 9.40 बजे तक प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में चार मई से पढ़े जा रहे श्री सहज पाठ साहिब के तीन पाठों की समाप्ति संगत द्वारा सामूहिक रूप से उच्चारण कर हुई।
हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी ने “भले अमरदास गुण तेरे,तेरी उपमा तोहि बनि आवै…..”, “दरस तेरे की पिआस मनि लागी सहज अनंद बसै बैरागी ……” और “रामदास सरोवर नाते सब उतरे पाप कमाते …….” शबद गायन कर संगत को गुरु की वाणी से निहाल किया।
श्री अनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुकुमनामा एवं कढ़ाह प्रशाद वितरण के साथ विशेष दीवान की समाप्ति सुबह 10.30 बजे हुई। सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने समूह साध संगत को प्रकाश पर्व की बधाई दी। गुरुपर्व के संचालन में सहयोग के लिए स्त्री सत्संग सभा, गुरुनानक भवन कमेटी, गुरुनानक बाल मंदिर स्कूल कमेटी समेत सभी सेवादारों का आभार जताया। सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल ने लंगर सेवा के लिए स्वर्गीय बिहारी दास काठपाल के परिवार के बच्चों को गुरु घर का सरोपा ओढ़ाकर सम्मानित किया। दीवान का संचालन मनीष मिढ़ा ने किया। दीवान समाप्ति के उपरांत सत्संग सभा द्वारा गुरु का अटूट लंगर चलाया गया।
दीवान में सुंदर दास मिढ़ा, सुरेश मिढ़ा, हरगोबिंद सिंह, महेश सुखीजा, हरविंदर सिंह बेदी, प्रेम मिढ़ा, नरेश पपनेजा, चरणजीत मुंजाल, अशोक गेरा, हरविंदर सिंह हन्नी, मोहन लाल अरोड़ा, रमेश गिरधर, सागर थरेजा, मोहन काठपाल, अनूप गिरधर, बिनोद सुखीजा, हरीश मिढ़ा, इंदर मिढ़ा, रमेश पपनेजा, नानक चंद अरोड़ा, महेंद्र अरोड़ा, राजकुमार सुखीजा, बसंत काठपाल, लक्ष्मण अरोड़ा, पुरुषोत्तम सरदाना, अमरजीत सिंह मुंजाल, राजेंद्र मक्कड़, सुरजीत मुंजाल, नीरज सरदाना, ईशान काठपाल, किशन गिरधर, इनीश काठपाल, कुणाल चूचरा, कमल मुंजाल, उमेश मुंजाल शामिल हुए।
इसके अतिरिक्त मनीष मल्होत्रा,पीयूष मिढ़ा,बबली दुआ, गीता कटारिया, मंजीत कौर, शीतल मुंजाल, बंसी मल्होत्रा, खुशबू मिढ़ा, दुर्गी देवी मिढ़ा, बिमला मिढ़ा, नीता मिढ़ा, इंदु पपनेजा, रेशमा गिरधर, ममता सरदाना, मीना गिरधर, श्वेता मुंजाल, उषा झंडई, नीतू किंगर, ममता थरेजा, सुषमा गिरधर, गूंज काठपाल, खुशबू मिढ़ा, किरण अरोड़ा, गीता मिढ़ा, रानी मुंजाल, गोबिंद कौर समेत अन्य श्रद्धालु शामिल हुए।
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