पूरे विश्व में आदिवासियों पर बात होना गर्व का विषय : डॉ आईवी हांसदा

झारखंड
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  • गोस्सनर कॉलेज के अंग्रेजी विभाग में विशेष व्याख्यान का आयोजन

रांची। गोस्सनर कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए विशेष व्याख्यान का आयोजन 28 अप्रैल को किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत स्नातक प्रथम सेमेस्टर की छात्रा साक्षी टेटे ने प्रार्थना कर की। अतिथियों का स्वागत अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ ईवा मार्ग्रेट हंसदा ने किया। कार्यकम का विषय ‘फ्रॉम द मार्जिन टू द सेंटर : ट्राइबल लिटरेचर इन इंडियन एकेडमिया’ (हाशिए से केंद्र की ओर : भारतीय अकादमिक दायरे में आदिवासी साहित्य) था।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अथिति जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि, दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आईवी हांसदा थीं। प्रो हांसदा ने कहा कि दलित साहित्य अब मुख्यधारा के साहित्य में शामिल हो चुका है। आदिवासी साहित्य आज भी हाशिए पर है। इसका प्रमुख कारण प्रभावी वर्ग अपनी भाषा और साहित्य को लेकर शुरू से मुखर रहा है। आदिवासी साहित्य वाचिक परम्परा को लेकर आगे बढ़ा। इसलिए इसका प्रामाणिक दस्तावेज़ कम उपलब्ध है।

प्रो हांसदा ने कहा कि कई क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की अपनी लिपि नहीं है। आज इसे विकसित कर दस्तावेज में संरक्षित करने का समय है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों का उल्लेख पौराणिक धर्म ग्रंथों रामायण (शबरी), महाभारत (एकलव्य), पुराणों आदि में भी मिलता है। आदिवासियों के नेतृत्वकर्ता इतिहास के मध्यकाल विशेष कर मुगल कालखंड में कम मुखर रहें। उनकी आवाज दब सी गई थी।

वर्तमान में आदिवासी समाज जनजीवन से जुड़े साहित्य, कला, संस्कृति, चिकित्सा में मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। आज पूरे विश्व में आदिवासियों पर बात हो रही है। गैर आदिवासी लेखन पर बातचीत करते हुए कहा कि आदिवासी साहित्य को समृद्ध करने में आदिवासी साहित्यकारों के साथ गैर आदिवासी लेखकों की लंबी श्रृंखला है। हालांकि इनके वर्णन में स्वानुभूति की जगह सहानुभूति की झलक मिलती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ शांतिदानी मिंज (प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एंड मेडिसिन, वेल्लोर) ने कहा कि मैं चिकित्सा पेशे में रहते हुए वंचितों के प्रति समर्पित रहने की कोशिश करती हूं।

विद्यार्थियों से कहा कि वे अनुवाद कर्म और साहित्य सृजन से जुड़े।

कार्यक्रम का संचालन एम.ए चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा प्रियंका टूटी और आभार अंग्रेजी विभाग के प्रो गौतम एक्का ने किया।

कार्यक्रम में प्रो. इंचार्ज इलानी पूर्ति‍, वर्सर प्रो प्रवीण सुरीन, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ ईवा मार्ग्रेट हांसदा, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो आशा रानी केरकेट्टा, डॉ सुब्रतो सिन्हा, डॉ सुषमा केरकेट्टा, प्रो अदिति लाया टोप्पो, डॉ प्रशांत गौरव, डॉ आमोश टोप्पो, डॉ अब्दुल बासित, डॉ ध्रुपद चौधरी, डॉ विनोद राम सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक व विद्यार्थी मौजूद थे।

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