सरला बिरला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 43 छात्रों को मिला स्वर्ण

झारखंड
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  • पांच विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री दी गई
  • डॉ खादर को दी गई पीएचडी की मानद उपाधि

रांची। सरला बिरला विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने 11 अप्रैल को 43 छात्रों को ‘बसंत कुमार सरला बिरला स्वर्ण पदक’ और पांच को पीएचडी की डिग्री दी। इसके साथ ही विभिन्न संकायों के 1664 छात्रो को डिग्री दी गई। दीक्षांत समारोह में मिलेट मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से चर्चित डॉ खादर वल्ली को पीएचडी की मानद उपाधि प्रदान की गई।

विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित समारोह में राज्यपाल ने  विद्यार्थियों को अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग राज्य और राष्ट्र की बेहतरी के लिए करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह आज दुनिया अभूतपूर्व गति से विकास के मार्ग पर अग्रसर है, उस स्थिति में समाज में नवाचार और सार्थक योगदान आवश्यक हो जाता है। ऐसे में कल के नेतृत्वकर्ता युवाओं का योगदान हमारे समाज के भविष्य को आकार प्रदान करेगा। उन्होंने विद्यार्थियों को सीखने की राह में उत्तरोत्तर बढ़ते चलने की भी सलाह दी।

राज्यपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत पहल करने, छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने और चरित्र निर्माण के उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए सरला बिरला विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने फील्ड विजिट से लेकर पेटेंट प्राप्ति, सफल उद्यमों की स्थापना और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं कॉन्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति पर चर्चा की। लड़कियों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के एसबीयू के प्रयासों की उन्होंने खास तौर पर चर्चा की।

अपने संबोधन में डॉ. खादर वली ने उपस्थित श्रोताओं को प्रकृति के साथ तारतम्य स्थापित कर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने का आग्रह किया। विकास के नाम पर पिछले कुछ दशकों में प्रकृति के क्षरण की बात कहते हुए उन्होंने जीवन जीने के सनातन तरीके को पुनर्स्थापित करने की बात कही। उन्होंने लोगों से परिवर्तन का वाहक बनने का आह्वान किया।

विवि की कुलाधिपति श्रीमती जयश्री मोहता ने शिक्षा, राष्ट्र निर्माण और सामाजिक विकास के क्षेत्र में स्व. बी. के. बिरला और स्व. सरला देवी बिरला के विजन की चर्चा करते हुए ज्ञानार्जन के अलावा विवि द्वारा चरित्र निर्माण और नैतिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने पर हर्ष व्यक्त किया। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ एसबीयू के शैक्षणिक करार पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इससे यहां के विद्यार्थियों को नवीनतम शोध और अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक परिवेश में अध्ययन करने का अवसर मिल सकेगा। एनईपी -2020 के अनुरूप विवि के पाठ्यक्रम को ढालने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विकसित भारत 2047’ के विजन के निमित्त सक्रिय योगदान देने में एसबीयू की भूमिका पर उन्होंने संतोष व्यक्त किया।

शासी निकाय के सदस्य अनंत जाटिया ने वर्ष 2018 से सरला बिरला विश्वविद्यालय की शुरू हुई विकास यात्रा की बात करते हुए विगत आठ वर्षों के दौरान विवि में अत्याधुनिक आधारभूत संरचनाओं के विकास और इससे विद्यार्थियों को हुए लाभ पर संतोष व्यक्त किया। विभिन्न विश्वविद्यालयों से एसबीयू के शैक्षणिक करार को उन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता की दिशा में बढ़ाया गया कदम बताया।

विवि के कुलपति प्रो. सी. जगनाथन ने विवि की प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। शिक्षा के क्षेत्र में बिरला परिवार की समृद्ध विरासत और योगदान की चर्चा करते हुए उन्होंने सरला बिरला विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण हेतु विवि के प्रयासों की बात की। विवि के छात्रों द्वारा पाठ्येत्तर गतिविधियों में सफलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने संस्थान के एक्टिविटी क्लब, एफटीपी इत्यादि से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर अपनी बात रखी। आनेवाले दिनों में एसबीयू में शुरू किए जानेवाले पाठ्यक्रमों पर उन्होंने अपना मंतव्य दिया।

स्व. बी. के. बिरला और स्व. सरला देवी बिरला के विजन की बात करते हुए एसबीयू के विभिन्न संकायों के बारे में चर्चा की। विवि के रिसर्च और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों से शैक्षणिक करार की भी उन्होंने जानकारी दी। डिग्री/डिप्लोमा प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने इन विद्यार्थियों को अपना लक्ष्य ऊंचा रखने की सलाह दी।

समारोह में विवि के प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान, महानिदेशक प्रो गोपाल पाठक एवं राज्यसभा सांसद सह शासी निकाय के सदस्य डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा भी उपस्थित रहे। विवि के कुलसचिव प्रो. एस.बी. डांडीन ने कार्यक्रम का संचालन किया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। साथ ही कई विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार, शिक्षक सहित रांची के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

श्रीधान्य अपनाएं, आनेवाली पीढ़ी को बचाएं

’मिलेट मैन’ के नाम से मशहूर खाद्य और पोषण विशेषज्ञ डॉ. खादर वली पिछले ढाई दशकों से भी ज्यादा समय से देश के लोगों को मोटे अनाज को अपने आहार में शामिल करने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। वे बाजरे की प्रजातियों से निर्मित श्रीधान्य को कई गंभीर बीमारियों के ईलाज का विकल्प मानते हैं। इसे लेकर उन्होंने देश-विदेश में बड़े पैमाने पर जागरुकता कार्यक्रम चलाया है। मैसूर के केंद्रीय खाद्य  प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक रहे डा. वली विदेशों में भी काफी समय तक रहे। लेकिन अंततः देश में स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए उन्होंने भारत में ही रहने का फैसला किया।

प्रकृति संरक्षण के बारे में बेबाकी से अपने विचार रखने वाले डा. वली बाजरे को ग्लोबल वाॅर्मिंग कम करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मददगार मानते हैं। उनका मानना है कि अगर भारत में सकारात्मक तरीके से खेती की जाये, तो आनेवाले पचास वर्षों के भीतर देश को सूखे की समस्या से पूरी तरह से निजात मिल सकेगा। वर्ष 2023 में भारत सरकार ने उनको पद्मश्री से सम्मानित किया।

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