वेटलैंड संरक्षण पर बीआईटी मेसरा में हुई कार्यशाला में जुटे विशेषज्ञ

झारखंड
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रांची। बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी), मेसरा के सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग और आर्किटेक्चर एवं प्लानिंग विभाग ने 13 जनवरी 2025 को अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा। इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो, यूके, और एएसएसआरजी, त्रिची, भारत ने सहयोग किया।

13 से 15 जनवरी 2025 तक आयोजित इस कार्यशाला का प्रमुख विषय “वेटलैंड प्रबंधन: वेटलैंड के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखना या पुनर्स्थापित करना’ है। कार्यशाला में क्‍यू-जीआईएस सॉफ़्टवेयर के माध्यम से वेटलैंड इकोसिस्टम की निगरानी और प्रबंधन पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इसमें शोधकर्ता, विद्यार्थी और विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर शामिल हुए।

कार्यक्रम का शुभारंभ बीआईटी मेसरा के कुलपति प्रो. इंद्रनील मन्ना ने किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों के प्रभाव के बीच वेटलैंड इकोसिस्टम के संरक्षण के वैश्विक महत्व पर जोर दिया।

कार्यशाला में डॉ. एडवर्ड करली और डॉ. बियांका कावाज़िन (यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो) ने वेटलैंड संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर अपने विचार साझा किए। डॉ. एन.एन. सालघुना और श्री ज्योतिष जयन (एएसएसआरजी) ने वेटलैंड इकोसिस्टम की स्थानिक निगरानी के उन्नत तकनीकों पर प्रस्तुति दी। प्रो. एम.एल. कंसल (आईआईटी रुड़की) ने वेटलैंड पुनर्स्थापन और जल संसाधन प्रबंधन में नवाचारों पर चर्चा की।

व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र में प्रतिभागियों को क्‍यू-जीआईएस 3.10 सॉफ़्टवेयर के माध्यम से वेटलैंड इकोसिस्टम के नक्शे बनाने, निगरानी करने और उनका विश्लेषण करने का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया गया।

कार्यशाला ने प्रतिभागियों के बीच सहयोग और संवाद को बढ़ावा दिया, जिससे वेटलैंड संरक्षण के लिए सतत प्रथाओं पर चर्चा और अंतःविषय शोध के महत्व को समझने का अवसर मिला।

कार्यशाला का समापन आयोजन समिति की अध्यक्ष डॉ. बिंदु लाल और संयोजक डॉ. कीर्ति अविषेक के समापन भाषण के साथ हुआ। उन्होंने प्रतिभागियों की उत्साहपूर्वक भागीदारी की सराहना की और प्राप्त ज्ञान और कौशल को वास्तविक चुनौतियों के समाधान में लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया।

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