रांची। मोरहाबादी मैदान में लगे राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव 2024-25 में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कविताओं की गूंज सुन श्रोता झूम उठे। लोकगीत गायक सदानंद यादव के गीत ‘जन्म दे दो विधाता झारखंड’, पुष्पा सहाय की कविता “साइकिल से जाना है गांव रे” और मनीषा सहाय ‘सुमन’ की इन आंखों में बचपन की कुछ याद पुरानी रहने दो” ने सभी के मन को छू लिया।
सूरज श्रीवास्तव डफली वाले कवि ने “अभी उम्मीद कायम है और ‘ये माटी झारखंड की’ पर श्रोता झूम उठे। करूणा सिंह ‘कल्पना’ ने “पग पग साथ, चली थी” और खुशबू बरनवाल ‘सीपी’ ने “कुहासा अब नहीं है तो, खिला है धूप अंदाजन, सुन सभी भाव विभोर हो उठे। सभी को मेला अधिकारियों ने सम्मानित किया। दर्शकों का उत्साह देखते बन रहा था।
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