
रांची। नाबार्ड झारखंड ने भगैया, गोड्डा के कारीगरों के लिए इस दिवाली को और भी खास बना दिया है। स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा देने और उनका समर्थन करने की पहल में, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक ने देश भर के कॉर्पोरेट प्रमुखों को गोड्डा के कारीगरों द्वारा हाथ से पेंट की गई, हस्तनिर्मित तसर सिल्क टाई उपहार में दी है।
जटिल डिजाइनों से सजी ये टाई, नाबार्ड झारखंड क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा गणेश पीस फाउंडेशन को स्वीकृत आजीविका और उद्यम विकास कार्यक्रम (एलईडीपी) का एक उत्पाद है, जो झारखंड के गोड्डा जिले में तसर सिल्क मूल्य श्रृंखला हितधारकों के साथ काम करने वाला एक गैर सरकारी संगठन है।
इस कार्यक्रम ने कारीगरों को पारंपरिक तसर साड़ियों से परे अपने शिल्प में विविधता लाने का मौका प्रदान किया दिया है, जिससे वे साड़ियों, स्टोल और टाई सहित कई तरह के बाजार-संचालित उत्पाद बना सकते हैं। एलईडीपी पहल ने उनकी क्षमताओं के निर्माण, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार और उनकी आय के स्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यह कार्यक्रम ग्रामीण विकास के प्रति नाबार्ड की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और पारंपरिक शिल्प को संरक्षित करने, कारीगरों की आजीविका को बढ़ाने, सतत विकास को बढ़ावा देने और स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने में संगठन की भूमिका पर भी प्रकाश डालता है।
नाबार्ड झारखंड क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक एसके जहागीरदार ने कहा, ‘कारीगरों के शिल्प कौशल का समर्थन करके, हम न केवल पारंपरिक कलाओं को संरक्षित कर रहे हैं बल्कि उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान दे रहे हैं।‘
इस कार्यक्रम से इन कारीगरों को नए बाजारों से परिचित कराने और उनके शिल्प कौशल में महत्वपूर्ण मूल्य जोड़कर उन्हें आवश्यक कौशल और संसाधन प्रदान करने की उम्मीद है। इससे न केवल कारीगरों को अपने उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिली है बल्कि उनकी पारंपरिक कलाओं को एक बेहतर बाज़ार मिला हैं।
इस प्रकार के उत्पादों के लिए सीधे गणेश पीस फाउंडेशन, भगैया, जिला गोड्डा 813208 (संपर्क नंबर: 88733 03479) को ऑर्डर दिए जा सकते हैं। ऐसा करके, आप न केवल इन कारीगरों का समर्थन करते हैं बल्कि पारंपरिक हस्तशिल्प कौशल के संरक्षण में भी योगदान देते हैं।
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