
रांची। हिन्दी कैलेंडर के अनुसार भादो तृतीय कजली / सातूड़ी तीज माहेश्वरी समाज के लिए खास त्योहार है| हरियाली तीज से सुहागन महिला एवं कुंवारी लड़कियां हाथों में मेहंदी रचा, झूला सजा, तीज के गीत, डांस के साथ सिंधारा का प्रोग्राम शुरू करती है। गेहूं आटा, बेसन, चावल आटा, मैदा, ड्राई फ्रूट्स से सजा कर घर में ही मिठाई बनाई जाती है। इसे सत्तू या पिंडा कहा जाता है।
तीज के पहले दिन नवविवाहितों के लिए पहली तीज स्पेशल होती है। इस दिन पीहर ससुराल से गिफ्ट्स मिलते हैं। तीज के दिन महिलाएं उपवास करती है। शाम को सोलहा श्रृंगार कर एकत्रित होकर नीमरी माता का पूजा कर सुहागन पति की लंबी आयु, घर परिवार की सलामती की कामना करती है। कुमारी लड़कियां अच्छे घर वर की कामना कर चन्द्रमा को अर्घ देकर सिर्फ फ्रूट्स और मिठाई वाली सत्तू प्रसाद रूप ग्रहण करती है। नीमरी माता मिट्टी की पाल बनाकर नीम की डाली लगाकर बनाई जाती है।
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