नशा से व्यक्ति का भविष्य नष्ट हो जाता है : पीएन सिंह

झारखंड
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  • नशा उन्मूलन पर संत जोन्स हिन्दी मीडियम स्कूल में डालसा का कार्यक्रम

रांची। संत जोन्स हिन्दी मीडियम स्कूल में नशा उन्मूलन पर जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन 8 अगस्‍त को किया गया। इस अवसर पर एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, मध्यस्थ पीएन सिंह, लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा, सीआईडी (डीएसपी) अनूज उरांव, एनसीबी के कुमार मनोहर मंजूल, चंदन कुमार, आशीष शीतल मुंडा, पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण, पीएलवी, भुप्रताप महतो, मानव कुमार, संगीता देवी, संगीता सिंह एवं स्कूल के प्रधानाध्यापक, शिक्षक-शिक्षिकाएं व अन्य उपस्थित थे। झालसा के निर्देश और न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में कार्यक्रम हुआ।

कार्यक्रम में मध्यस्थ पीएन सिंह ने कहा कि बच्चों को एक बार नशे की आदत लग जाती है तो इसका पूरा भविष्य बर्बाद हो जाता है। बच्चे पहले सिगरेट से शुरूआत करते हैं। धीरे-धीरे गांजा ड्रग्स, अफीम, ब्राऊ शुगर इत्यादि का नशा करने लगते हैं।

लाईफ सेवर्स के अतुल गेरा ने कहा कि जिनको ड्रग्स या दूसरे नशे की लत लग जाती है, उनका शरीर धीरे-धीरे खोखला हो जाता है। बच्चे भारत देश का भविष्य है। इसलिए हर हाल में ड्रग्स से दूर रहना है। दूसरों को भी नशामुक्त करना है।

एनसीबी के कुमार मनोहर मंजूल ने कहा कि ड्रग्स, गांजा या चरस और अफीम लेने से दूसरे दिन हमारा शरीर फिर उसी समय नशा की मांग करने लगता है। नशा नहीं करने से फिर बेचैनी, उल्टी होने लगती है। हमें ड्रग्स नहीं लेना है। अपने शरीर, अपने समाज एवं राज्य को नशामुक्त बनाना है।

रांची सीआईडी (डीएसपी) अनूज उरांव ने बच्चों को बताया कि कहीं पर भी कोई नशा करता हो या नशा का सामान बेचता हो तो टॉल फ्री नम्बर 9771432110 पर सम्पर्क करें। सीआईडी का नम्बर – 9199497829, राष्ट्रीय टॉल फ्री नम्बर – एन.सी.बी. 1933 पर संपर्क कर सकते हैं।

एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने अफीम, गांजा, हिरोईन, ब्राउन शुगर एवं अन्य तरह के मादक पदार्थों के बारे में बताया। नशीले पदार्थों के व्यापार और अफीम की खेती करने से संबंधित अपराध के बारे में जानकारी दी। कहा कि इन पदार्थों की खरीद-बिक्री, भंडारण, उपभोग, उपयोग, एक राज्य से दूसरे राज्य में तस्करी करना कानूनन अपराध है। इस अपराध की सजा के बारे में जानकारी दी। सजा को स्मॉल, इंटरमीडिएट, कॉमर्शियल में बांटा गया है। इसमें 2 से 10 साल की न्यूनतम और अधिकतम सजा 20 साल एवं 2 लाख का जुर्माना भी है। दोबारा अपराध करने से सजा बढ़ जाती है।

एनसीबी के चंदन कुमार ने कहा कि ड्रग्स लेने से हमारे सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है। हम सही कर रहे नशा से शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक हानि होत है। नशा में व्यक्ति चोरी करना शुरू कर देता है। नशा की चपेट में आकर नशीली पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग अपने अनमोल जीवन को नष्ट कर रहे है। नशा से पूरा घर-परिवार बर्बाद हो जाता है। नशा की रोकथाम के लिए कई कार्य विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है।

छात्र-छात्राओं को 28 सितम्बर को होनेवाले राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी बताया गया। उनके बीच नशा से संबंधित लिफलेट और पम्पलेट का वितरण भी किया गया।

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