रांची। गोस्सनर कॉलेज में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन 10 अगस्त को किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कॉलेज की प्राचार्या प्रो. इलानी पूर्ति ने कहा कि आदिवासी मतलब, जो अनंत काल से निवास करता आया है। आदिवासी ने ही जंगलों को बचाने का काम किया है। उन्होंने जल, जंगल और जमीन से नाता नहीं तोड़ा है। पूरे विश्व में आदिवासी प्रकृति प्रेमी होते हैं, जिसकी वे पूजा और संरक्षण करते हैं।
बर्सर प्रो. प्रवीण सुरीन ने कहा कि आज वैश्विक स्तर पर आदिवासियों की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति (होडोपैथी) की चर्चा है। प्रकृति संरक्षण की इनकी प्रणाली को पूरा विश्व अपना रहा है। आदिवासियों की मौसम पूर्वानुमान पद्धतियों पर विश्व के वैज्ञानिक गहनता से रिसर्च कर रहे हैं।
इंटर कला संकाय के अध्यक्ष डॉ. बलबीर केरकट्टा ने भारतीय संविधान द्वारा आदिवासियों के हित के रक्षा के लिए दिए गए अधिकार की जानकारी छात्रों को दी। मंच संचालन प्रो. सुषमा करकट्टा एवं प्रो आइजक कंडुलना ने किया। मौके पर तीनों संकाय के डीन, सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद थे।
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